नगर निगम और स्वयंसेवी संस्थाओं ने नहीं लगाये प्याऊ

मटकों की जगह केनों ने ली

भीषण गर्मी के चलते लोगों को ठण्डे जल की तलाश होती है। ऑफिस हो या बाजार सभी दूर लोग पहले के समय में मटकों का प्रयोग करते थे जिनकी जगह अब केनों ने ले ली है। शहर में इन दिनों केनों की मांग में दो गुना से अधिक वृद्धि हुई है।

भाव भी बढ़े हैं, लेकिन सुविधा के कारण लोगों ने मटकों का प्रयोग छोड़कर केनों को सहारा बना लिया है। नगर निगम और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा प्रमुख चौराहों, धार्मिक स्थलों के आसपास प्याऊ लगाई जाती थी जो तेज गर्मी के बावजूद अब तक नजर नहीं आ रही।

अलग-अलग फर्मों द्वारा शहर में फिल्टर वाटर केन दुकानों के साथ निजी व सरकारी ऑफिसों, होटलों में रखने का काम किया जा रहा है। ठण्डे पानी से भरी इन केनों की कीमतें भी अलग-अलग हैं, लेकिन सुविधा के चलते लोग इन्हीं केनों से प्यास बुझा रहे हैं।

पूर्व में शासकीय ऑफिसों में मटके रखकर उनमें पीने का पानी भरा जाता था जिसकी जगह अब केनों ने ले ली है। नगर निगम और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा पूर्व में शहर के प्रमुख चौराहों, बाजारों और धार्मिक स्थलों पर लोगों की सुविधा के लिये प्याऊ लगाई जाती थी। यहां नगर निगम के टैंकरों से मटकों में सुबह शाम पानी भरा जाता था, लेकिन अप्रैल माह आधा बीतने के बाद भी अब तक इस प्रकार की प्याऊ नहीं लगाई गई हैं। हालांकि शहर के कुछ बाजारों में व्यापारियों द्वारा मिट्टी की नाद एवं मटके रखकर जलसेवा शुरू की गई है।

स्टेशन पर सशुल्क ठण्डा जल

रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा के लिये प्लेटफार्म पर नल लगाये गये हैं लेकिन इन नलों में गर्म पानी होता है और लोगों की प्यास नहीं बुझती, ठण्डे पानी के लिये प्लेटफार्म 1 पर दो वाटर वेंडिंग मशीन लगी हैं इनमें सिक्का डालने पर लोगों को ठण्डा व शुद्ध पानी मिलता है, लेकिन रेलवे प्रशासन द्वारा यात्रियों को मुफ्त में ठण्डा जल उपलब्ध कराने के प्रयास नहीं किये गये।

बताया जाता है कि गर्मी के मौसम में एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा स्टेशन के प्लेटफार्मों पर ट्राली से यात्रियों को ठण्डा जल उपलब्ध कराया जाता था लेकिन इस वर्ष रेलवे प्रबंधन ने इसकी अनुमति नहीं दी है।

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