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नगर सरकार चुनाव 2022:पार्किंग स्थल तय हो, टाटा के काम पर नियंत्रण नानाखेड़ा की कॉलोनियों में पेयजल लाइन बिछे
- शिप्रा में गंदे पानी को रोकने के लिए ठोस काम हो, आवारा मवेशियों से मुक्ति मिले
- ऐसा हो शहर का घोषणा पत्र- शृंखला-2, जनता चाहती है यह 9 काम प्राथमिकता से हो
महापौर और शहर के 54 पार्षदों के लिए 6 जुलाई को मतदान होने हैं। यानी जनता इस दिन नगर सरकार का चयन करेगी। इस बीच शहर के 180 लोगों ने भास्कर को सुझाव भेजकर अपना घोषणा पत्र जारी करवाया था। इसी क्रम के दूसरे चरण में जनता फिर अपनी उम्मीदों के साथ मुखर है। जनता का कहना है कि नगर निगम में बोर्ड किसी भी दल का बने लेकिन उन्हें 9 कामों को प्राथमिकता से करने की जरूरत है।
जनता द्वारा जताई गई प्राथमिकता में पार्किंग स्थलों को नियत कर उनका पालन करवाने पर जोर दिया गया है। साथ ही नानाखेड़ा क्षेत्र की कॉलोनियों में पेयजल व सीवरेज लाइन बिछाने की भी बहुत जरूरत बताई गई है। इसके अलावा टाटा कंपनी के काम पर नियंत्रण और नगर निगम में बिचौलियों व दलालों का हस्तक्षेप बंद करने की दिशा में भी ठोस कदम उठाने उम्मीद जताई गई है।
शिप्रा में गंदे पानी को रोकने के लिए ठोस काम हो, आवारा मवेशियों से मुक्ति मिले
- पार्किंग के नए स्थान चिह्नित कर पालन करवाएं- नए और पुराने शहर में वाहन पार्किंग की बेहतर व ठोस व्यवस्था नहीं है। इससे यातायात बाधित होता है। विवाद व दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। जरूरत इस बात की है कि पार्किंग के नए स्थान नियत किए जाकर इन्हीं पर वाहन पार्क करवाना शुरू किया जाए।
- सिंहस्थ क्षेत्र से कॉलोनियों को मुक्त करवाना- आगर रोड से लगी और आसपास की 30 से अधिक कॉलोनियां सिंहस्थ क्षेत्र में है। इस तर्क के साथ कि पिछले कुछ आयोजनों में इन क्षेत्रों का उपयोग नहीं होता रहा है, इन्हें मेला क्षेत्र से मुक्त करवाने के प्रयास होते आए हैं। ये मुक्त होती हैं तो संबंधित रहवासियों को बढ़ी राहत मिलेगी।
- आवारा मवेशी- इस समस्या से शहर का हर व्यक्ति परेशान हैं। शहर के हर क्षेत्र में आवारा मवेशी घूमते व बैठे दिखाई देते हैं। एक अनुमान है कि 2500 से अधिक आवारा मवेशी शहर में हैं। इनसे यातायात बाधित होने के साथ ही गंदगी भी बढ़ती है। इनके हमले से कुछ लोगों की तो मौत भी हुई है। आवारा मवेशियों से मुक्त शहर के दावे नहीं, वास्तव में इनसे मुक्ति मिले इसकी जरूरत है।
- नानाखेड़ा क्षेत्र की कॉलोनियों में पेयजल व सीवरेज का प्रबंधन- क्षेत्र की छोटी-बड़ी करीब 60 कॉलोनियां ऐसी हैं, जहां सीवरेज व पेयजल प्रबंधन नहीं है। यानी इनकी लाइन नहीं है। ऐसे में यहां के रहवासियों को बहुत मुश्किलें झेलना पड़ती है। मूलभूत सुविधाओं से जुड़े इन दोनों कामों को प्राथमिकता में करवाने की जरुरत जरूरत है।
- टाटा कंपनी के काम पर नियंत्रण- सीवरेज के लिए टाटा कंपनी द्वारा सड़कों को खोदकर बिछाई जा रही पाइप लाइन के बेतरतीब काम से शहरवासी और बाहर से आने वाले लोग भी त्रस्त हैं। टाटा सड़कें खोदने के बाद लंबे समय तक गड्ढे छोड़ देती है, जिससे कई तरह की परेशानियां बढ़ने के साथ हादसे व मौतें भी हुई हैं। करीब 700 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करवाने की जरूरत है।
- अतिक्रमण- नए व पुराने शहर के अधिकांश व्यस्त व बाजार वाले क्षेत्रों में अस्थाई अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। इससे आए दिन चक्काजाम होता है। विवाद व दुर्घटना की स्थिति बनती है। चालानी कार्रवाई की जाती है लेकिन पुन: अतिक्रमण हो जाता है। जरूरत है कि अतिक्रमण कभी न हो ऐसी प्लानिंग पर काम हो।
- जलकर व संपत्तिकर में वृद्धि- अक्सर निगम अपने बजट में बड़ा आंकड़ा दर्शाकर उतना जलकर व संपत्तिकर वसूलने का लक्ष्य प्रदर्शित करती है लेकिन वास्तविकता में वह उससे आधा भी बमुश्किल वसूल पाती है। ऐसे में आय प्रभावित होने से विकास कार्य प्रभावित होते हैं। जरूरत इस बात की है कि इन करों की वसूली पर हमेशा ही जोर रहे।
- शिप्रा में गंदे नाले मिलने से रोकना- शिप्रा में शहर के गंदे नालों के मिलने की समस्या पुरानी है। देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आते हैं। वे देव दर्शन के साथ ही शिप्रा स्नान भी करते हैं। घाटों पर गंदा व दूषित पानी होने से श्रद्धालुओं की भावना आहत होती है। वे अच्छी छवि व अनुभव लेकर नहीं लौटते हैं। जरुरत है कि इन गंदे नालों को शिप्रा में मिलने से रोकने पर ठोस काम हो।
- समस्याओं का त्वरित निराकरण- निगम मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी एजेंसी हैं। लिहाजा व्यवस्था ऐसी होना चाहिए कि समस्याओं का यहां त्वरित निराकरण हो। साथ ही निगम को अपने पुराने कार्यालय गोपाल मंदिर टॉकीज वाले स्थान व आर्य समाज मार्ग की सब्जी मंडी सहित अन्य शासकीय संपत्तियों का उपयोग भी करना होगा ताकि आय बढ़े।