नृसिंह घाट पर एक साथ दो तैरती लाश देखकर मचा हड़कंप

उज्जैन। गुरुवार सुबह नृसिंह घाट पुल क्षेत्र में सफाई करने पहुंचे कर्मचारी को नदी में दो लाशें तैरती दिखीं जिसकी सूचना उसने रामघाट चौकी को दी। सूचना मिलते ही पुलिस व तैराकों की टीम पहुंची और शवों को पानी से निकालकर पोस्टमार्टम के लिये जिला चिकित्सालय पहुंचाया। पुलिस मृतकों की शिनाख्ती के प्रयास कर ही रही थी कि दो लोग सीधे महाकाल थाने पहुंचे और उन्होंने अपने परिजनों के लापता होने की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने उन लोगों से गुमशुदाओं का हुलिया व उम्र पूछा और मोबाइल में फोटो दिखाए जिनकी शिनाख्त उक्त लोगों ने अपने काका-काकी के रूप में की।

नृसिंह घाट पुल से नृसिंह घाट तक सफाई करने वाला नानू कहार रोज की तरह यहां सफाई कर रहा था तभी उसने बीच नदी में दो शव तैरते दिखे। नानू ने इसकी सूचना रामघाट चौकी पर दी जहां से आरक्षक मुकेश मीणा, होमगार्ड आपदा दल प्रभारी कृष्णपाल सिंह, सैनिक देवचंद के साथ यहां पहुंचे और थाने को भी अवगत कराया।

थाने से एसआई निरंजन शर्मा व अन्य पुलिसकर्मियों ने तैराकों की मदद से नदी में तैर रहे शवों को बाहर निकाला। मृतकों में पुरुष की उम्र 75 वर्ष के लगभग प्रतीत हो रही थी, जबकि वृद्धा की उम्र 70 वर्ष थी। पुरुष ने धोती-कुर्ता पहना था, जबकि महिला के शरीर पर हरी साड़ी पहन रखी थी। वृद्ध के कुर्ते की जेब से पुलिस ने ७० रुपये बरामद किए, वहीं पास में पड़ा हैंडबैग भी मिला जिसमें बिंदी, कुमकुम आदि सामान था। दोनों की शिनाख्ती के लिए पुलिस को मौके से कुछ भी बरामद नहीं हुआ। इसी कारण शवों के पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया गया और वायरलेस सेट पर अज्ञात शव बरामद होने की सूचना भी प्रसारित की गई।

ध्यान रखने का कहकर रात में ही हुए थे रवाना
भतीजे गौरव ने बताया काका गिरीराव व काकी नलिनी गुस्से में थे और रात में जब उनसे मोबाइल पर बात हुई तो उन्होंने घर लौटने से इंकार किया था। इस पर जिस व्यक्ति से उन्होंने मोबाईल पर बात कराई थी उससे ध्यान रखने को कहा और रात में ही बोलेरो से जमाई विलास परार को लेकर उज्जैन के लिये निकले। अमरावती पुलिस को भी गिरीराव के मोबाइल की लोकेशन उज्जैन में महाकाल मंदिर के आसपास ही मिली थी। इस कारण गौरव और विलास सीधे महाकाल थाने आए। गौरव ने बताया गिरीराव खेती करते थे। उनके दो पुत्र व एक पुत्री हैं।

भतीजा बोल- २४ अप्रैल को निकले थे घर से, बीती रात को ही हुई थी बात
अपने काका-काकी को ढूंढते महाकाल थाने पहुंचे भतीजे गौरव ने बताया काका गिरीराव और काकी नलिनी 24 अप्रैल को घर से निकले थे। इसके पूर्व दोनों का छोटे बेटे प्रताप कोकाटे से घरेलू बात पर विवाद भी हुआ था। गिरीराव और नलिनी दर्शनों का कहकर निकले लेकिन वापस नहीं लौटे।

शंका होने पर परिजन उन्हें तलाशने के बाद थाने में गुमशुदगी लिखाने भी गये थे। पुलिस ने काका गिरीराव का मोबाइल ट्रेस किया जिस पर परिजनों की रात में बात भी हुई थी। परिजनों ने गिरीराव से कहा था कि घर लौट आओ लेकिन उन्होंने वापस लौटने से इंकार कर दिया था। उनसे पूछा कि कहां हैं तो उन्होंने कुछ नहीं बताया। इस पर काका गिरीराव से कहा कि किसी दूसरे व्यक्ति को फोन दो। दूसरा व्यक्ति हिंदी में बात कर रहा था और उसी ने बताया कि काका-काकी उज्जैन में हैं।

अमरावती से सीधे थाने आया भतीजा
एसआई निरंजन शर्मा, एएसआई उधमसिंह थाने में अज्ञात शव मिलने की लिखापढ़ी कर ही रहे थे कि उसी दौरान दो लोग थाने पहुंचे। उन्होंने पुलिस को बताया कि हम लोग अमरावती से आए हैं और हमारे परिजन दो दिनों से लापता हैं। उनकी उम्र 75 व 70 वर्ष है। इस पर एसआई शर्मा ने अपने मोबाइल से सुबह मिले शवों के फोटो युवक को दिखाए जिनकी शिनाख्त उसने गिरीराव पिता भीमराव कोकाटे और नलिनी पति गिरीराव कोकाटे निवासी धानोरा तालुका जिला अमरावती के रूप में की।

 

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