परिसर का पर्यावरण में योगदान:पेड-पौधों पर शोध; 949 पेड़-पौधे एक साल में देते हैं 64 करोड़ रुपए की ऑक्सीजन

शहर के एक निजी कॉलेज की चार छात्राओं ने परिसर का पर्यावरण को योगदान विषय पर एक अनूठा शोध किया है। उन्होंने परिसर के एक एक पेड़ पौधे का अध्ययन किया। प्राचार्य का दावा है कि निष्कर्ष में यह निकलकर आया है कि परिसर के 949 पेड़-पौधे एक साल में 64 करोड़ रुपए की ऑक्सीजन देते हैं।

लोकमान्य तिलक कॉलेज परिसर के पेेड़ पौधे वायुमंडल को प्रदूषित करने वाले अन्य तत्व जैसे सल्फर, कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गोविंद गन्धे ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्य के अनुसार कॉलेज की प्राध्यापिका सोनल गोधा ने बीएससी माइक्रोबायोलॉजी छात्राओं अंशिका कुशवाह, पूजा आंजना, रुचिका पचलानिया और डिंपल माली के साथ यह शोध किया है।

निष्कर्ष

तुलसी, बांस, वट वृक्ष, पीपल देते हैं सर्वाधिक ऑक्सीजन: कॉलेज में 949 पेड़ पौधे हैं। ऑक्सीजन की दृष्टि से 91, धार्मिक महत्व के 58, औषधीय पौधे 405, धार्मिक महत्व के 58, फलदार 12, पुष्प वाले 353 और शोभा दायक वृक्षों, पौधों की संख्या 20 है। पर्यावरण को शुद्ध करने के साथ सर्वाधिक मात्रा में ऑक्सीजन तुलसी, बांस, स्नेक पाम, एरिका पाम, वट वृक्ष, नीम, पीपल, अर्जुन, अशोक, बेलपत्र, कड़ी, मनी प्लांट, एलोवेरा देते हैं।

हर पेड़ पौधे पर किया शोध, यह परिणाम आया

  • तुलसी व बेलपत्र 24 घंटे ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं।
  • पीपल का उपयोग का वात, पित्त और कफ के दोषों को दूर करने में होता है।
  • पारस पीपल अस्थमा, डायबिटीज और अर्थराइटीज के इलाज में प्रयोग होता है।
  • बरगद का उपयोग दांतों और यूटीआई इंफेक्शन दूर करने के लिए किया जाता है।
  • पाम, जामुन और अशोक के वृक्ष डायरिया, डिसेंट्री और पेट दर्द की समस्या के समाधान में उपयोग में आते हैं।
  • नीम का उपयोग लेप्रोसी, पाचन संबंधी समस्या को दूर करने में किया जाता है।
  • गिलोय का उपयोग रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने के साथ डेंगू के उपचार में किया जाता है।

507.6 टन ऑक्सीजन हर साल देते हैं पेड़ पौधे

कॉलेज परिसर के पेड़-पौधे हर साल 507.6 टन ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं। 99.2 टन कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित की जाती है। प्राचार्य का कहना है कोरोना संकट में जिस प्रकार ऑक्सीजन पर आम आदमी, सरकार का खर्च हुआ है। उसे देखा जाए तो कॉलेज परिसर से रोज 1.4 टन ऑक्सीजन का उत्पादन हुआ है। इसका बाजार मूल्य 17.78 लाख रु है। इस प्रकार एक वर्ष में परिसर से 64.45 करोड़ की ऑक्सीजन का उत्पादन हुआ है।

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