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बड़वाह से 68 किमी लंबी लाइन बिछाकर गंभीर में डालेंगे नर्मदा का पानी
उज्जैन | शिप्रा नदी को तृप्त करने के बाद अब नर्मदा का पानी गंभीर नदी का सूखापन दूर करेगा। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद 50 हजार हेक्टेयर जमीन पर किसान सालभर में तीन फसल ले सकेंगे। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने वन विभाग द्वारा भेजी गई प्रोजेक्ट रिपोर्ट को मंजूर कर दिया है। इंदौर और बड़वाह वन मंडल के 21 हेक्टेयर जंगल से पाइप लाइन गुजरेगी। जंगल प्रभावित होने के बदले बड़वाह में 42 हेक्टेयर जमीन पर पौधारोपण किया जाएगा। एनवीडीए के चीफ इंजीनियर एमएस अजनारे के मुताबिक शिप्रा की तरह गंभीर के लिए बड़वाह से पाइप बिछाने का काम शुरू कर दिया है। लगभग डेढ़ साल में यह काम पूरा हो जाएगा। 68 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई जाएगी। जंगल की जमीन एनवीडीए को सौंपने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। इंदौर जिला पंचायत ने भी इस प्रोजेक्ट को अपनी मंजूरी दे दी है।
08माह में वन विभाग ने सर्वे रिपोर्ट बनाकर मंजूर करवाई
42हेक्टेयर जमीन पर होगा वैकल्पिक पौधारोपण
21हेक्टेयर जंगल से होकर गुजरेगी पाइप लाइन
01हजार करोड़ रुपए है प्रोजेक्ट की लागत
5 हजार पेड़ प्रभावित होंगे, 42 हेक्टेयर में नए लगाएंगे
पाइप लाइन बिछाने के लिए चोरल रेंज के करीब पांच हजार पेड़ प्रभावित होंगे। इसके बिना पाइप लाइन नहीं बिछाई जा सकेगी। जहां-जहां से पाइप लाइन गुजरेगी, वहां के पेड़ों को चिह्नित कर लिया है। इन्हें विविधत तरीके से हटाया जाएगा। जितने पेड़ प्रभावित होंगे, उनके बदले में 42 हेक्टेयर जमीन पर बड़वाह में पौधे लगाए जाएंगे। बारिश के सीजन में पौधे लगाने का काम शुरू हो जाएगा।
गंभीर में सीधे नहीं छोड़ेंगे पानी
अजनारे के मुताबिक नर्मदा-गंभीर का प्रोजेक्ट शिप्रा से बहुत अलग है। गंभीर नदी में सीधे पानी नहीं छोड़ा जाएगा। इंदौर-देवास की लगभग 50 हजार हेक्टेयर जमीन पर सालभर खेती करवाने के लिए छोटी-छोटी पाइप लाइन बिछाई जाएगी। यशवंत सागर, गांवों के तालाब, कुएं, खेतों में सिंचाई के लिए यह लाइन बिछाई जाएगी। इसके बाद नदी में पानी छोड़ा जाएगा। इंदौर में हातोद, उज्जैन के घटिया, बड़नगर व आसपास के दर्जनों गांवों में पानी की लाइन छोड़ी जाएगी।
शिप्रा प्रोजेक्ट से ज्यादा ली जमीन
नर्मदा का पानी गंभीर में छोड़ने, पाइप लाइन बिछाने के लिए प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग एक हजार करोड़ रुपए रहेगी। शिप्रा के मुकाबले गंभीर के लिए ज्यादा पाइप लाइन और ज्यादा जंगल की जमीन ली जा रही है।