दुनियाभर में नए साल के पहले दिन की शुरुआत लोग अलग-अलग अंदाज में करते हैं, लेकिन धार्मिक नगरी उज्जैन में श्रद्धालु हर नए काम की शुरुआत बाबा महाकाल के चरणों का आशीष लेकर करते हैं। साल के पहले दिन लाखों भक्तों ने महाकाल मंदिर में जाकर भक्तिभाव मे लीन होकर नववर्ष की शुरुआत की। यहां नववर्ष के पहले दिन मंदिर में लाखों श्रद्धालुओं ने चलित भस्म आरती में बाबा के दिव्य दर्शन किए। बाबा का आशीर्वाद लेकर नए साल की शुरुआत कर सफलता और सुख शांति की प्रार्थना की।
भूतभावन बाबा महाकाल को कालों का काल कहा जाता है, इसलिए वे काल के अधिष्ठाता हैं, लिहाजा नया साल अच्छा बीते, इसी कामना के साथ लाखों भक्त बाबा महाकाल के दरबार से नए साल की शुरुआत करते दिखाई दिए। इस अवसर पर श्रद्धालुओ को नए साल का जश्न मनाने का मौका भी मिल गया। वैसे नववर्ष के अवसर पर महाकाल मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए महाकाल मंदिर में दर्शनार्थियों को चलित भस्म आरती के रूप में बाबा महाकाल के दर्शन करवाए गए।
गर्म जल से स्नान फिर हुआ पंचामृत पूजन
भगवान महाकाल के दरबार में नववर्ष की सुबह भस्म आरती से पहले भगवान महाकाल को गर्म जल से स्नान कराया गया। इसके बाद दूध, दही, शहद, शक्कर और फलों के रस से भगवान का पंचामृत पूजन हुआ। भगवान महाकाल को पूजन के बाद सूखे मेवे और भांग से सजाया गया। राजाधिराज भगवान महाकाल ने नववर्ष की सुबह आकर्षक स्वरूप में दर्शन दिए।
इसीलिए की जाती है भस्म आरती
श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित आशीष गुरु ने बताया कि महाकाल की विभिन्न पूजाओं तथा आरतियों में भस्म आरती का अपना अलग महत्व है। यह अपने तरह की एकमात्र आरती है जो विश्व में सिर्फ महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में ही की जाती है। हर शिवभक्त को अपने जीवन में कम से कम एक बार भगवान महाकालेश्वर की भस्म आरती में जरूर शामिल होना चाहिए। भस्म आरती भगवान शिव को जगाने, उनका शृंगार करने तथा उनकी प्रथम आरती करने के लिए किया जाता है। यह आरती प्रतिदिन सुबह चार बजे भस्म से की जाती है। इसके दौरान सुबह चार बजे भगवान का जलाभिषेक किया जाता है। इसके बाद शृंगार और उसके बाद ज्योतिर्लिंग को भस्म से सराबोर कर दिया जाता है। शास्त्रों में चिता भस्म अशुद्ध माना गया है। चिता भस्म का स्पर्श हो जाये तो स्नान करना पड़ता है परन्तु भगवान शिव के स्पर्श से भस्म पवित्र होता है क्योंकि शिव निष्काम हैं। उन्हें काम का स्पर्श नहीं है। अनादिकाल से ही महाकाल मंदिर में भस्म रमाने की परंपरा चली आ रही है। आज सुबह भी बाबा महाकाल की महापूजा की गई, जिसमें पंचामृत पूजन, केसर युक्त जल से स्नान, भांग मावे का शृंगार और फिर भस्म रमाकर नववर्ष का यह पर्व धूमधाम से बनाया गया।
नए साल पर रिकॉर्ड तोड़ने को बेताब हैं श्रद्धालु
महाकालेश्वर मंदिर में नववर्ष पर अभी तक 3 से 5 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए आ चुकी है। 10 से 12 लाख श्रद्धालुओं के दर्शन करने की उम्मीद जताई जा रही है। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए महाकालेश्वर मंदिर समिति और जिला प्रशासन ने बड़े पैमाने पर तैयारी की जा रही है। महाकाल लोक निर्माण के बाद पहले ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ कई गुना बढ़ चुकी है। इस बार नए साल पर श्रद्धालुओं की भीड़ का रिकॉर्ड टूटने की संभावना है।
बाबा महाकाल के दर्शन कर यह बोले श्रद्धालु
लुधियाना से उज्जैन पहुंचे प्रेम शर्मा परिवार के साथ भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने आए। उनका कहना है कि नववर्ष के दिन भगवान का दर्शन में धन्य हो गया। दिल्ली से आई श्रद्धालु पूनम सिंह ने बताया कि भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेकर नए साल की शुरुआत की है।