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बिजली से चलने वाली बस का किराया 2 करोड़ रुपए
शहरों और उपनगरों में शुरू होना है यह सेवा, उज्जैन में हर महीने निगम को देना होगा भारी भरकम किराया
उज्जैन. शहर में बहुप्रतीक्षित इ बस की सुविधा के लिए लोगों को और इंतजार करना पड़ सकता है। इसका कारण है भारी भरकम किराया। इ-बस चलाने के लिए नगर निगम को हर महीने दो करोड़ रुपए खर्च करना होंगे। किराए के रूप में निगम को इतनी आय हो जाए, यह बहुत मुश्किल है। एेसे में संचालन के लिए किए जाने वाले भुगतान और मिलने वाली किराया राशि के बीच का अंतर पाटने नगर निगम ने शासन से वीजीएफ (वायब्लिटी गेप फंड) की मांग की है। मंजूरी नहीं मिलने तक अनुबंध नहीं करने का मन बनाया है। इधर संचालक कंपनी एवी ट्रांस प्राइवेट लिमिटेड की टीम ने मंगलवार को शहर पहुंचे जरूरी व्यवस्थाओं का जायजा लिया है।
भारत सरकार भारी उद्योग मंत्रालय ने शहरों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए फेम-2 (फास्टर एडोप्शन एंड मेनुफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक वीकल इन इंडिया) योजना शुरू की है। इसके अंतर्गत दस लाख से अधिक आबादी वाली स्मार्ट सिटी में यह सुविधा शुरू की जाना है। धािर्मक व पौराणिक नगरी होने के कारण उज्जैन को विशेष रूप से शामिल करते हुए 50 इ-बस खरीदी की मंजूरी दी गई थी। इनमें से 25 बस शहर के अंदर व 25 उपनगरीय चलना है। कुछ महीने पूर्व प्रदर्शन के लिए एक इ-बस शहर भी भेजी गई थी। हालांकि अभी तक संचालन के लिए शासन, निगम व संचालक कंपनी के बीच अनुबंध नहीं हुआ है। इसके पीछे मुख्य कारण संचालन में होने वाला बड़ा खर्च बताया जा रहा है। दरअसल 50 इ-बसों के संचालन के लिए निगम को कंपनी को हर महीने प्रति किलोमीटर के मान से तय शुल्क चुकाना होगा। वहीं यात्री किराए के रूप में मिलने वाली राशि निगम की होगी।
संचालन के लिए हर महीने निगम को करीब दो करोड़ रुपए चुकाना होंगे, जबकि किराए से इतनी राशि मिलना मुश्किल है। मोटे आकलन अनुसार संचालन में निगम को एक साल में १५ करोड़ रुपए का नुकसान होगा। इसलिए निगम ने खर्च और आय के बीच के अंतर की राशि की व्यवस्था के लिए शासन को वीजीएफ का प्रस्ताव भेजा है। मसलन जितनी राशि की कमी पड़ेगी, उसकी व्यवस्था शासन द्वारा की जाएगी। शासन की ओर से इस संबंध में कोई जवाब नहीं मिला है जिसके कारण इ-बस सुविधा शुरू करने के लिए अनुबंध नहीं हो सका है। बता दें, यह समस्या सिर्फ उज्जैन ही नहीं, अन्य शहरों में भी आ रही है और लगभग सभी जगह वीजीफ की मांग की जा रही है।
प्रत्येक किलोमीटर पर 68 रुपए का खर्च
योजनानुसार इ-बस की लागत की 45 फीसदी सब्सिडी केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी। वहीं शेष राशि संचालक कंपनी की रहेगी। 12 मीटर लंबी एक इ-बस की कीमत करीब 2 करोड़ रुपए तक है। बस संचालन के लिए निगम को प्रति किलोमीटर 68 रुपए संचालक कंपनी को देना होंगे। इसमें भी प्रति दिन न्यूनतम 200 किलोमीटर बस चलना जरूरी है। इस लिहाज से 50 बसों के संचालन के लिए हर महीने निगम को लगभग दो करोड़ रुपए कंपनी को देना पड़ेंगे जबकि इतनी आय होने की उम्मीद नहीं है।