भाटगली के 85 रहवासियों को 7 दिन का नोटिस, फिर गेंग तोड़ेगी मकान

उज्जैन | प्रेमछाया मार्ग चौड़ीकरण की योजना के तहत नगर निगम प्रशासन ने शुक्रवार को भाटगली के 85 रहवासियों को नोटिस थमा दिए। सभी को अपने मकान का हिस्सा तोड़ने के लिए 7 दिन का समय दिया है। इसके बाद निगम की गैंग इन्हें तोड़ेगी और रहवासियों से इसका खर्च वसूलेगी। भाटगली के लोगों का कहना है- मकान तोड़ने के लिए पैसा भी होना चाहिए, वो कौन देगा। मुआवजा दिए बिना ही मकान तोड़ने के नोटिस से भी लोगों में नाराजी है। रहवासियों का कहना है प्रेमछाया परिसर मालिक को मुआवजा दिया गया तो हमें क्यों नहीं दे रहे।

आखिरकार नगर निगम ने भाटगली मार्ग को भी चौड़ा करने के लिए अपना कदम आगे बढ़ा दिया है। चौड़ीकरण की जद में आ रहे मकान मालिकों को नोटिस दिए गए हैं। हालांकि भाटगली के लोग चौड़ीकरण के पक्ष में हैं, लेकिन अधिकतर का कहना है सात दिन का समय बहुत कम है। इतने कम समय में लोग मकान तोड़ने के लिए पैसों का बंदोबस्त कैसे कर सकेंगे। भाटगली में रहने वाली शकुंतला पांचाल ने कहा मकान तो तोड़ देंगे, पर इसके लिए भी पैसा चाहिए। वह हमारे पास है नहीं। शकुंतला ने नगर सरकार से सवाल करते हुए पूछा है कि यह पैसा कौन देगा। वे तो अपने हिस्से का मकान आम लोगों की सुविधा के लिए रोड बनाने के लिए दे रहे हैं। अन्य रहवासियों ने भी विभिन्न मुद्दों को लेकर नाराजी जताई है। शुक्रवार को नोटिस मिलते ही, रहवासियों में हलचल मच गई। सभी ने एकजुट होकर इस मामले में नगर निगम आयुक्त डॉ. विजयकुमार जे. से मिलकर पहले स्थिति स्पष्ट करने पर राय मशविरा किया है। गौरतलब है कि नगर निगम द्वारा भाटगली रोड को 9 मीटर चौड़ा करने की योजना बनाई गई है। इससे प्रेमछाया से होकर सीधे नईसड़क तक पहुंचा जा सकेगा।

नोटिस में बताया, मौके पर नहीं लगाए निशान

भाटगली के लोगों में इस बात को लेकर भी नाराजी है कि नगर निगम ने नोटिस जारी कर उसमें यह तो बता दिया है कि उन्हें कितना हिस्सा तोड़ना है। किंतु निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों ने मौके पर चौड़ीकरण के लिए निशान नहीं लगाए हैं। इससे भी अनिर्णय की स्थिति बनी हुई है। लोगों को नोटिस पर लिखी गई चौड़ाई अभी समझ नहीं आ रही। विधिवत मौके पर निशान लगने से स्थिति पूरी तरह साफ हो सकेगी। सिंहस्थ से पहले चौड़ीकरण के निशान लगाए गए थे, लेकिन ये अब साफ हो गए हैं।

अपने आशियाने तोड़ने के लिए 3 माह तो चाहिए…

भाटगली के रहवासियों का कहना है मकान तोड़ने के लिए सात दिन का जो समय दिया गया है, वह भी नाकाफी है। करीब 60 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनके पास नया मकान बनाने या उसकी मरम्मत के लिए पैसा नहीं है। इस कारण निगम के नोटिस से उनकी नींद उड़ गई है। रहवासियों का कहना है सात दिन से ज्यादा समय लगेगा। लिहाजा, कम से कम तीन माह का समय तो निगम प्रशासन को देना ही चाहिए। क्षेत्रीय निवासी महेंद्रसिंह बैस ने कहा तीन-चार माह का समय दिया जाना चाहिए था। संजय ठाकुर व समीर कश्यप ने कहा प्रेमछाया परिसर के मालिक को मुआवजा दिया गया तो हमें इससे क्यों वंचित रखा जा रहा है। सभी को समान रूप से मुआवजा देना चाहिए। महेश ठाकुर व अमूल ठाकुर ने भी कहा मुआवजा दिए बगैर चौड़ीकरण उचित नहीं। कम से कम लोगों को पुनर्निमाण की परमिशन निःशुल्क दी जाए। एडवोकेट रमेशचंद्र शर्मा ने भी केवल सात दिन का समय अनुचित बताते हुए कहा यह समय सीमा बढ़ाई जाए तथा लोगों को वापस मकान बनाने की परमिशन भी दी जाए। रहवासी निगमायुक्त के समक्ष यह मुद्दा भी उठाएंगे कि रोड का निर्माण एटलस चौराहे की ओर से पहले शुरू किया जाए। इस तरह दोनों छोर से रोड का निर्माण शुरू हो सकेगा।

स्कूली बच्चों की पढ़ाई होगी प्रभावित

भाटगली निवासी केएन विष्णु भी चौड़ीकरण की जद में आ रहे हैं। उनका कहना है मकान तोड़ने का समय आगे बढ़ाना बेहद जरूरी है, क्योंकि अधिकतर बच्चों की परीक्षाएं सिर पर हैं और उन्हें पढ़ाई करना है। तोड़फोड़ शुरू होने से बच्चों की पढ़ाई भी ठप हो जाएगी और उनका भविष्य खराब हो सकता है। उन्होंने कहा नगर निगम को उन लोगों को जी प्लस फोर मकान बनाने की परमिशन दी जाए, जिनके मकान तोड़े जा रहे हैं। रहवासियों ने किसी तरह का अतिक्रमण नहीं किया हैं उनके मकानों का अधिग्रहण किया जा रहा है। चूड़ी व्यवसायी मो. फारूख ने कहा उनकी पूरी दुकान चौड़ीकरण की सीमा में आ रही है। इस कारण वे बेरोजगार हो जाएंगे।

इधर, कोर्ट के स्टे पर थमा चौड़ीकरण का काम

श्रीनाथ परिसर व मस्तराम अखाड़ा के बीच आर्यसमाज मार्ग निवासी रघुनाथसिंह चौहान की अपील पर स्थानीय अदालत ने स्टे ऑर्डर दिया है। इस कारण शुक्रवार को नगर निगम का चौड़ीकारण कार्य पूरी तरह बंद रहा। चौहान ने पंचम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 2 के यहां अपील की थी। इस मामले में आदेश होने तक वादग्रस्त क्षेत्र में यथास्थिति रखने का आदेश दिया गया है। शुक्रवार को आदेश की विधिवत कॉपी भी निगम को उपलब्ध करा दी गई। शुक्रवार सुबह तोड़फोड़ के लिए निगम की जेसीबी पहुंची थी, लेकिन कुछ देर बाद उसे वापस भेज दिया गया।

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