भूतड़ी अमावस्या : रामघाट और सिद्धनाथ घाट पर हजारों श्रद्धालु करेंगे पर्व स्नान

कालियादेह तक साफ पानी पहुंचना मुश्किल

5 अप्रैल को भूतड़ी अमावस्या होने से हजारों श्रद्धालु शिप्रा नदी के दो प्रमुख घाटों सहित कालियादेह महल 52 कुंडों में स्नान के लिये आयेंगे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये प्रशासन स्तर पर नदी में साफ पानी सहित अन्य व्यवस्थाएं की जा रही हैं लेकिन यह स्पष्ट हो चुका है 52 कुंडों में नर्मदा के पानी से श्रद्धालुओं को स्नान कराना मुश्किल है।

प्रशासनिक अधिकारियों का दावा है कि शिप्रा बैराज से 85 एमसीएफटी नर्मदा का पानी छोड़ा गया है जो त्रिवेणी होते हुए गऊघाट तक पहुंच रहा है इसी पानी से श्रद्धालुओं को पर्व स्नान कराएंगे लेकिन सच्चाई यह है कि शिप्रा नदी के गऊघाट स्टॉपडेम पर दो माह पहले से रुके हुए पानी को स्टॉपडेम के गेट खोलकर छोड़ा गया है।

रामघाट बड़े पुल से भी गेट खोल दिये गये हैं। यही रुका हुआ गंदा पानी मंगलनाथ घाट होते हुए सिद्धनाथ और कालियादेह महल तक पहुंच सकता है लेकिन नर्मदा का साफ पानी यहां तक पहुंच नहीं सकता।

रामघाट से लेकर कालियादेह महल तक शिप्रा नदी कई जगह से सूख चुकी है और उसमें जलकुंभी, काई, नालों की गंदगी पड़ी है। रामघाट से छोड़ा जा रहा गंदा पानी आगे बढ़कर और गंदगी समेटे सिद्धवट तक पहुंचेगा। ऐसे में श्रद्धालुओं का सिद्धवट घाट पर स्नान, पूजन व आचमन मुश्किल होगा।

गऊघाट पर रोकेंगे नर्मदा का पानी

नर्मदा के नये पानी को पीएचई विभाग द्वारा गऊघाट बैराज पर रोका जायेगा ताकि उसका पेयजल सप्लाय के लिये उपयोग किया जा सके। गऊघाट बैराज पर वर्तमान में 6 फीट पानी का लेवल है और नर्मदा का पानी यहां तक पहुंचने के बाद ही पानी का लेवल बढ़ेगा, जबकि रामघाट पर पानी का लेवल बढ़ गया है।

कहां स्नान का क्या महत्व

पं. आनंद गुरु लोटावाला ने चर्चा में बताया कि भूतड़ी अमावस्या पर मुख्य स्नान 52 कुंड पर होता है जहां प्रेत बाधा सहित अन्य लंबी बीमारियों से पीडि़त लोग अधिक संख्या में पहुंचकर स्नान करते हैं। यहां विभिन्न प्रकार के पूजन और अनुष्ठान भी इसी दिन किये जाते हैं।

इसके अलावा पितृ दोष व पितृ कर्म के लिये श्रद्धालु सिद्धवट घाट पर पहुंचकर स्नान, पूजन एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठान के साथ सिद्धवट पर दूध अर्पित करते हैं। भूतड़ी अमावस्या पर धाराजी में स्नान करने वाले श्रद्धालु लौटते समय रामघाट पर स्नान करते हैं। सभी स्थानों पर स्नान एवं पूजन का अलग-अलग महत्व है।

कालियादेह पर पहली बार फव्वारा स्नान

कालियादेह महल के सभी कुंड वर्तमान में सूख चुके हैं। सामान्य दिनों में मात्र दो कुंडों में पीएचई विभाग द्वारा कुंड से करीब 500 मीटर दूर नदी में पाइप डालकर पानी डाला जाता है, लेकिन भूतड़ी अमावस्या पर लोक स्वास्थ्य ग्रामीण यांत्रिकी विभाग द्वारा यहां दो कुंडों पर श्रद्धालुओं के लिये फव्वारे लगाये जा रहे हैं।

पीएचई के कार्यपालन यंत्री सुनील उदिया ने अक्षरविश्व से चर्चा में बताया कि यहां पर्व स्नान की व्यवस्था पीएचई शहर द्वारा की जा रही है। हमें दो कुंडों पर फव्वारे लगाने के निर्देश मिले हैं।

इन फव्वारों को कौन से पानी से और कैसे चलाया जायेगा, इसकी जानकारी उनके पास भी नहीं है। उदिया का कहना है कि रामघाट से छोड़ा गया पानी कालियादेह महल तक पहुंचेगा और उसी में लाइन डालकर फव्वारे चलाये जाएंगे।

कालियादेह महल नगर निगम सीमा में नहीं आता

भूतड़ी अमावस्या पर हजारों श्रद्धालुओं द्वारा कालियादेह महल 52 कुंड में पर्व स्नान किया जायेगा, यहां सफाई व अन्य व्यवस्थाएं प्रशासन के निर्देश पर नगर निगम द्वारा कराई जा रही हैं। पानी आदि की व्यवस्थाएं ग्रामीण यांत्रिकी और अन्य ग्रामीण विभागों को करना है। हालांकि पीएचई विभाग शहर द्वारा शिप्रा नदी से पानी छोड़ा गया है जो कालियादेह महल तक पहुंच जायेगा।

– प्रतिभा पाल, आयुक्त, नगर निगम

Leave a Comment