माधवनगर हॉस्पिटल में 100% मरीज ऑक्सीजन पर…..

माधवनगर अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते अभी के हालात यह है कि अब और मरीज यहां भर्ती नहीं रखे जा सकते। यहां पर कुल क्षमता 120 बेड की है। जबकि आज प्रात: 10 बजे तक यहां पर 134 मरीज भर्ती थे। सारे बेड फुल होने के बाद जो मरीज आ रहे हैं,उनमें से तकरीबन सभी को ऑक्सीजन चाहिए। इस स्थिति में मरीजों को जमीन पर बैठाकर ऑक्सीजन दी जा रही है।

यहां भर्ती वे मरीज जिनका स्वास्थ्य अब ठीक हो गया है, ऐसे 8 मरीजों को जब प्रभारी अधिकारी डॉ.संजीव कुमरावत द्वारा सलाह दी गई कि आपको अब हम आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज भेज रहे हैं तो उनमे से अधिकांश रोने लगे। उनका कहना था कि साहब आप हमे जमीन पर लेटाकर उपचार दे दो, लेकिन मेडिकल कॉलेज मत भेजो। चाहो तो घर भेज दो। जब इस बारे में कलेक्टर आशीषसिंह को बताया गया तो उन्होने संवेदना रखते हुए निर्देश दिए कि अलग से बेड लगाकर उपचार कर दो,वरना ये पूरी तरह से स्वस्थ होने की जगह डिप्रेशन में आ जाएंगे। इसके बाद उन्हे वहीं रखा गया और उपचार दिया जा रहा है।

महिदपुर का व्यक्ति आया…ओपीडी में तोड़ दिया दम

आज सुबह एकदम से अफरा-तफरी मच गई। महिदपुर क्षेत्र का एक व्यक्ति जोकि कोरोना संदिग्ध था, उसे उपचार के लिए परिजन लेकर आए। यहां आने पर जब डॉक्टर्स ने उसकी जांच की तो श्वास उखड़ रही थी। जब तक उपचार शुरू होकर ऑक्सीजन दी जाती,उसकी मौत हो गई। इसे लेकर डॉ.संजीव कुमरावत ने कहाकि मरीज को लाने में काफी देर कर दी थी। परिसर में ही श्वास उखड़ गई थी।

यह स्थिति है ओपीडी की : ओपीडी में लोग आ रहे हैं, पर्चा बनवा रहे हैं और कोरोना जांच करवा रहे हैं। लेकिन आज सुबह से ऐसे लोग भी आए जो यहां आकर गिर ही गए। श्वास उखड़ रही थी। ऐसे लोगों को तत्काल सिलेण्डर लाकर वहीं जमीन पर बैठाकर स्टॉफ ने पहले ऑक्सीजन दी, उसके बाद उनके पर्चे बनवाए। ताकि जीवन बचाया जा सके। ऐसे मामले करीब एक दर्जन हो गए।

कोरोना का नया स्ट्रेन संभलने का मौका नहीं दे रहा : डॉ.कुमरावत

नोडल अधिकारी डॉ.संजीव कुमरावत से इस प्रतिनिधि ने चर्चा की तो उन्होने बताया कि कोरोना का नया स्ट्रेन आया है। यह संभलने का मौका नहीं दे रहा है। तीन दिन बाद हालात ऐसे कर देता है कि मरीज की श्वास उखडऩे लगती है। उसे ऑक्सीजन की तुरंत आवश्यकता लगती है। इस मामले में जितने भी केस आ रहे हैं,उन्हे ऑक्सीजन की ही डिमांड है। उन्होने बताया कि लोग काफी लापरवाही बरत रहे हैं।

दो से तीन दिन तक तो जांच करवाने नहीं जाते हैं। तब तक मरीज बीमारी की जद में आ जाता है। उसके बाद जब जांच पॉजिटिव आती है,तब तक संक्रमण बढ़ जाता है और श्वास लेने में परेशानी शुरू हो जाती है। यही कारण है कि गंभीर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी और ऑक्सीजन की मांग भी उतनी ही तेजी से बढ़ी,जिसे एकदम से पूरा कर पाना संभव नहीं है।

कलेक्टर लगातार कोशिशें कर रहे हैं और ऑक्सीजन का इंतजाम गुराजत,पीथमपुर,नागदा,ताजपुर से किया जा रहा है। उन्होने बताया कि 40 सिलेण्डर ऑक्सीजन गैस मात्र 2 घण्टे में समाप्त हो रही है।

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