रवि योग में होगी गणेश जी की स्थापना:दस दिवसीय गणेशोत्सव पर्व 31 अगस्त से 9 सितंबर तक मनाया जाएगा

उज्जैन। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर पार्थिव गणेश की स्थापना का मुहूर्त माना जाता है। इस दिन पार्थिव गणेश की स्थापना करनी चाहिए। 10 दिवसीय उत्सव काल में स्थापना के साथ श्री गणेश का विधिवत पूजन करने का मनोवांछित फल प्राप्त होता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष से गणपति के आरंभ से त्योहारों का आरंभ हो जाता है, जिसमें अलग-अलग पक्षों में त्योहार आते रहते है। यह सिलसिला कार्तिक की पूर्णिमा तक निरंतर जारी रहता है।

गणेश चतुर्थी पर इस बार पार्थिव गणेश की स्थापना रवि योग में होगी। ज्योतिषचार्य अमर डिब्बेवाला ने बताया कि चतुर्थी पर रवि योग तो रहेगा साथ ही शुक्ल योग में श्री गणेश की स्थापना का मुहूर्त दिनभर रहेगा। शुक्ल युग की अधिष्ठात्री माता पार्वती है। उनके पुत्र गणेश है, जिनकी स्थापना माता ने स्वयं की थी। इस दृष्टिकोण से भी यह दिन विशेष है। बुधवार का दिन और माता पार्वती की साक्षी में गणेश की स्थापना का आरंभ 10 दिवसीय पर्व काल को और भी शुभ बना देता है। इस दौरान अपने कार्य की सिद्धि प्राप्ति करने के लिए विशेष अनुष्ठान करना चाहिए। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कन्या तथा तुला राशि के चंद्रमा के संचरण में भद्रा का वास पाताल में रहता है जो धन कारक व कार्य में शुभता देती है। दस दिवसीय गणेशोत्सव पर्व 31 अगस्त से 9 सितंबर तक मनाया जाएगा।

गीत संगीत की शिक्षा के लिए शुभ दिन

नक्षत्र की गणना के अनुसार चित्रा नक्षत्र मृदु व मैत्री संज्ञक नक्षत्र की श्रेणी में आता है। इस नक्षत्र में किए गए कार्य विशेष तौर पर गीत संगीत की शिक्षा दीक्षा, खेल में प्रवेश, वस्त्र धारण करना शुभ होता है।

गणेश उत्सव के दौरान आने वाले पर्व

31 अगस्त- बुधवार गणेश स्थापना,1 सितंबर- गुरुवार ऋषि पंचमी, 2 सितंबर- शुक्रवार सूर्य छठ बलदेव षष्टि,

3 सितंबर शनिवार- राधा अष्टमी,4 सितंबर- रविवार भागवत सप्ताह प्रारंभ, 5 सितंबर-सोमवार नवमी व तेजा दशमी, 6 सितंबर- मंगलवार जलझूलनी एकादशी स्मार्त मतानुसार,7 सितंबर बुधवार जल झूलनी एकादशी वैष्णो मतानुसार तथा वामन जयंती, 8 सितंबर गुरुवार प्रदोष व्रत 9 सितंबर शुक्रवार अनंत चौदस पार्थिव गणेश विसर्जन

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