लाशें, चिताएं, जिंदगी, उम्मीदें…कतार में हैं:श्मशानों में 34 शव, हॉस्पिटल में 317 नए मरीज, ऑक्सीजन संकट, इंजेक्शन का झगड़ा

हमारा उज्जैन वो कतारें देख रहा है, जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। लाशें, चिताएं, जिंदगी की जंग और उम्मीद का टीका… हर तरफ सिर्फ कतारें। दिन निकलते ही चीखें सुनाई देने लगी हैं। मरीजों से भरे पड़े अस्पताल। लाशों को इंतजार करवा रहे श्मशान घाट। इलाज के लिए इंजेक्शन का इंतजार। मरीज को ऑक्सीजन के लिए दूसरे मरीज के बेड खाली कर देने का इंतजार। जिस वैक्सीनेशन से उम्मीद है, वहां लोगों के आने का इंतजार। बस बहुत हुआ… अब ये सब खत्म होना चाहिए। इन सबके लिए व्यवस्था के साथ ही जिम्मेदार हैं वो लोग, जो न मास्क ठीक से पहन रहे, न सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे।

सोमवार लॉकडाउन में बीता, लेकिन शहर का हाल देखकर कहीं लॉकडाउन जैसा लगा ही नहीं। हम कौन सी तस्वीर बना रहे हैं। जो खौफ अस्पताल जाने के बाद लग रहा है, उसे लोगों को घर बैठकर महसूस करना चाहिए। कम से कम उन चीखों से कानों को तो आराम मिल जाएगा, जो हर सुबह ये शहर सुन रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक-सीएनजी में शव जल रहे हैं, चबूतरों पर भी चिताएं, बाकी इंतजार में, हर दूसरी लाश हॉस्पिटल से ही आ रही

अस्पतालों में खौफ। श्मशानों में रुदन। इतने शव कि जलाने वाले कम पड़ रहे। व्यवस्था बनाने वाले थक गए, तो परिजन को ही लकड़ी-कंडे उठाना पड़ रहे हैं। सोमवार सुबह जब हम चक्रतीर्थ पहुंचे तब तक लाशों की कतार लग गई थी। जब हम शहर का चक्कर लगाते हुए यहां आ रहे थे, तो बाजार की भीड़ देखकर लगा नहीं कि लोगों के मन में कोई खौफ है। जिनके अपने दम तोड़ रहे हैं, पीड़ा वही समझ सकते हैं।

चक्रतीर्थ पर हालात भयावह है। यहां ड्यूटी दे रहे 12 कर्मचारियों के पास सिर्फ एक किट है, जबकि सबसे ज्यादा शव यहीं पर आ रहे हैं। कर्मचारियों ने बताया कि कोरोना संदिग्ध शवों के लिए त्रिवेणी को अधिकृत किया है, मगर शहर के बीच होने से यहां भी शव लाए जाने पर अंतिम संस्कार किया जा रहा है। कर्मचारियों ने बताया 10 में से 8 शव हॉस्पिटल से ही आ रहे हैं। नाम के संदिग्ध हैं। सबकुछ कोरोना संक्रमितों जैसा है।

चक्रतीर्थ पर सुबह से शाम तक 26 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। यहां के हालात देख हम त्रिवेणी पहुंचे। यहां भी नजारा वैसा ही था। सीएनजी में अंतिम संस्कार में वक्त लग रहा था और लाशों की कतार बढ़ रही थी तो चिताएं लकड़ी-कंडों से जलने लगीं। कुछ शव फिर भी इंतजार में रखे गए थे। त्रिवेणी पर 8 अंत्येष्टि हुई। दोनों जगह 3-3 संस्कार ऑटोमैटिक शवदाह गृह में हुए।

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