विक्रम विवि रोजगार दिलाने वाले पाठ्यक्रम शुरू करे, पुरानों को अपडेट कर शॉर्ट टर्म कोर्स भी लाए

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय 1990 में घाटे में चल रहा था। सेल्फ फायनेंस योजना शुरू की। इसने न केवल घाटे से उबारा बल्कि उसे देश के टॉप 56 विश्वविद्यालय में खड़ा कर दिया। नतीजा विश्वविद्यालय को नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रिडिएशन काउंसिल (नैक) की टीम ने ए प्लस ग्रेड दी।

नवाचार, रिजल्ट के लिए खुद का सैटअप उन्हें अलग मुकाम पर ले गया। अब वे पढ़ाई के लिए क्लास रूम पर निर्भरता कम कर रहे हैं। अब उनका प्रयास है कि वे देवी अहिल्या विवि को ए-प्लस-प्लस की ग्रेड दिलवाएं और उसे देश के टॉप 10 विवि में शामिल करवाएं।

इसके लिए उन्होंने प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। पहली बार आत्मनिर्भरता के लिए दो बड़े विश्वविद्यालय के कुलपति एक मंच पर आए। उन्होंने चुनौतियों के साथ अवसर पर भी विचार साझा किए। इस दौरान भास्कर के लिए विक्रम विवि के कुलपति प्रो.अखिलेश पांडेय ने देवी अहिल्या विवि की कुलपति डॉ. रेणु जैन का इंटरव्यू लिया।

चुनौतियों के साथ अवसर पर दोनों विवि के विषय विशेषज्ञों ने रखे विचार

प्रो. पांडेय- देवी अहिल्या विवि में ऐसा क्या, जो हर स्टूडेंट वहीं प्रवेश लेना चाहता है?
प्रो. जैन- वहां जॉब ओरियंटेड कोर्स ज्यादा हैं। 200 फैकल्टी की जगह खाली होने के बावजूद हमारी गेस्ट फैकल्टी इतनी समृद्ध है कि हर साल रिजल्ट अच्छा आता है। माॅक पब्लिसिटी से हर साल विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है।

प्रो. पांडेय- क्या किया जाए, जिससे विक्रम विवि की ख्याति बढ़े।
प्रो. जैन- नए और ऐसे पाठ्यक्रम शुरू करवाएं, जिनसे भविष्य में विद्यार्थियों के रोजगार की राह आसान बने। पाठ्यक्रमों को लगातार अपडेट करने की भी जरूरत है। उस पर ध्यान दें।

प्रो. पांडेय- कौन से नए कोर्स शुरू किए जा सकते हैं।
प्रो. जैन- अलग अलग क्षेत्रों में इंट्रीग्रेटेड पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जा सकते हैं। जैसे बीए एलएलबी, बीकॉम एलएलबी। अभियांत्रिकी, मैनेजमेंट, फार्मेसी, कम्प्यूटर साइंस से जुड़े व्यवसायोन्मुखी पाठ्यक्रम शुरू किए जाएं।

प्रो. पांडेय- प्लेसमेंट बढ़ाने के लिए क्या किया जा सकता है।
प्रो. जैन- सभी विभागों में प्लेसमेंट सेल को सुदृढ़ता दी जाए। देवी अहिल्या विवि में हर साल 100 फीसदी प्लेसमेंट हो रहा है। ऐसे विद्यार्थी भी हैं, जिनके पास दो से तीन जॉब अपार्च्युनिटी हैं।

प्रो. पांडेय- कौन से नए प्रयोग किए जाएं, जिससे विद्यार्थियों का रुझान इस ओर बढ़ सके।
प्रो. जैन- स्किल डेवलपमेंट और विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने वाले पाठ्यक्रम और शॉर्ट टर्म कोर्स प्रारंभ किए जाएं। हमने आईएमएस डिर्पाटमेंट शुरू किया जो आईआईएम के समकक्ष काम कर रहा है।

प्रो. पांडेय- विक्रम विश्वविद्यालय के पास सभी संसाधन हैं, उसे उन्नत कैसे करें।
प्रो. जैन- विद्यार्थियों को स्किल सिखाएं। उनमें फील्ड में जाकर काम करने की आदत विकसित करें।

कृषि का नया पाठ्यक्रम शुरू होगा

दोनों विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से कुछ शोध परियोजना पर कार्य करेंगे। विषय विशेषज्ञ भी एक-दूसरे की मदद करेंगे। विक्रम विवि आवश्यकतानुसार पाठ्यक्रम में बदलाव कर कृषि सहित अन्य नए पाठ्यक्रम शुरू करेंगे।

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