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शनिश्चरी अमावस्या: सुबह ADM और ASP ने निरीक्षण कर बेरिकेडिंग के निर्देश दिये
त्रिवेणी घाट पर स्नान व पूजन प्रतिबंधित
कोरोना के चलते धार्मिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया…
पंचांगीय गणना के अनुसार शनिवार के दिन अमावस्या होने से शनिश्चरी अमावस्या कहलाएगी
उज्जैन। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर प्रशासन द्वारा धार्मिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसी के चलते कल शनिश्चरी अमावस्या का पर्व स्नान त्रिवेणी घाट पर नहीं होगा और न ही श्रद्धालु मंदिर में दर्शन पूजन करेंगे। सुबह एडीएम व एएसपी ने त्रिवेणी शनि मंदिर पहुंचकर निरीक्षण के बाद बेरिकेडिंग के निर्देश दिये। एएसपी अमरेन्द्र सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए वर्तमान में प्रशासन द्वारा धार्मिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसी के चलते शनिवार को होने वाले शनिश्चरी अमावस्या का पर्व स्नान त्रिवेणी घाट पर नहीं होगा। घाट पर लोगों के आवागमन पर पूरी तरह प्रतिबंध है साथ ही घाट और मंदिर की ओर जाने वाले सभी मार्गों पर बेरिकेडिंग की गई है
प्रशासन ने कोरोना के मद्देनजर शनि मंदिर सहित त्रिवेणी घाट एवं शिप्रा नदी तट के अन्य घाटों पर स्नान करने पर प्रतिबंध लगाया। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी आशीष सिंह ने 10 जुलाई को शनिचरी अमावस्या पर्व के अवसर पर कोरोना संक्रमण की रोकथाम हेतु मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ एक्ट 1949 की धारा 70 एवं दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अधीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए 9 जुलाई से 11 जुलाई तक शनिचरी अमावस्या के पर्व पर शनि मंदिर सहित त्रिवेणी पर श्रद्धालुओं का आवागमन, एकत्रीकरण होना, स्नान तथा शिप्रा नदी के विभिन्न घाटों पर स्नान किया जाना प्रतिबंधित कर दिया है। आदेश का उल्लंघन करने वालों पर भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 188 तथा डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट-2005 के प्रावधानों के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी।
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक दर्श अमावस्या के साथ शनिश्चरी का संयोग 100 साल में तीन बार बनता है। शनिश्चरी अमावस्या पर इंदौर रोड स्थित त्रिवेणी संगम में स्नान तथा घाट पर स्थित प्राचीन श्रीनवग्रह शनि मंदिर में दर्शन पूजन की मान्यता है,लेकिन कोरोना के मद्देनजर मंदिर में प्रवेश पर रोक रहेगी। शनिवार को सूर्य का उदय 5 बजकर 52 मिनट पर होगा।शुक्रवार को आरंभ होने वाली अमावस्या शनिवार सुबह 6.48 बजे तक रहेगी। एक मान्यता यह है कि जो तिथि सूर्योदय के समय दर्श रूप में सामने आती है, तो उसे सूर्य के अस्त काल तक मान्य किया जाता है। इस हिसाब से पूरे दिन शनिश्चरी अमावस्या का पर्वकाल मान्य होगा।