शिक्षक दिवस आज:शाला त्यागी बच्चों को स्कूल से जोड़ा, हर साल खुद के खर्च से कराते 5 बच्चों की पढ़ाई

एक तरह जहां शिक्षक बच्चों को पढ़ाकर उनके भविष्य को संवारते हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ शिक्षक ऐसे भी होते हैं, जो खुद के खर्च पर भी बच्चों को पढ़ाने आैर स्कूल से जोड़ने में पीछे नहीं रहते। उज्जैन में संकुल प्राचार्य अशोक कुमार सक्सेना का नाम कुछ ऐसे ही अनूठे शिक्षकों में शामिल है। उन्हें शिक्षक दिवस पर 5 सितंबर को भोपाल में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से पुरस्कृत कर सम्मानित किया जाएगा।

सक्सेना वर्तमान में शासकीय उमावि महाराजवाड़ा क्रमांक-2 में संकुल प्राचार्य हैं। सक्सेना का कहना है कि शिक्षक के रूप में मेरी जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इसलिए मैं पूरे साल कोई दान नहीं करता लेकिन हर साल कम से कम 5 ऐसे बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाता हूं, जो आर्थिक तंगी या पारिवारिक कारणों से आगे पढ़ने में सक्षम नहीं होते हैं। इन बच्चों की फीस, यूनिफॉर्म, जूते-मोजे, कॉपियां सहित उनकी पढ़ाई से जुड़े खर्च भी सक्सेना स्वयं करते हैं। सक्सेना ने बताया 35 वर्षों के अपने कैरियर में वह अब तक ऐसे करीब 200 बच्चों की मदद कर चुके हैं।

हीरामिल की चाल में रहने वाले रघुराज का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि रघुराज के पिता अटाला एकत्रित कर किसी स्क्रैप कारोबारी को बेचने का कार्य करते थे। आर्थिक तंगी के कारण रघुराज ने 8वीं के बाद स्कूल आना बंद कर दिया। सक्सेना उसके घर गए और उसे 9वीं कक्षा में प्रवेश दिलवाया। कक्षा 9वीं से 12वीं तक का उसका सारा खर्च भी वहन किया।

रघुराज अब भारतीय थल सेना में कार्यरत है। सक्सेना जितने भी स्कूलों में पदस्थ रहे, वहां उन्होंने विद्यार्थियों की मदद के लिए एक कोष भी स्थापित किया। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष वह 10 से 15 शाला त्यागी बच्चों को भी स्कूल में प्रवेश दिलवाते हैं। नगर निगम द्वारा सक्सेना को 2020 से 2022 तक लगातार 100 फीसदी रिजल्ट देने के लिए भी सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा वह नगर के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का सम्मान भी हासिल कर चुके हैं।

क्लास रूम की बजाय तालाब, मैदान और पेड़-पौधों से भरे परिसर पर ले जाकर बच्चों को देते हैं प्रयोग आधारित शिक्षा

शिक्षक दिवस पर राज्य स्तर पर सम्मानित होने वाले दो शिक्षकों में से एक नाम राजेश राठौर का है। राठौर वर्तमान में सीएम राइज स्कूल महाराजवाड़ा क्रमांक-3 में उच्च माध्यमिक शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। राठौर 2014 से 2022 तक मॉडल स्कूल घट्टिया में प्रभारी प्राचार्य के रूप में भी पदस्थ रहे। जहां प्रत्येक वर्ष उनका रिजल्ट 90 से 100 प्रतिशत के बीच रहा।

बायोलॉजी के शिक्षक राठौर की खासियत यह है कि वह पारंपरिक रूप से कक्षाएं लेने की बजाय बच्चों को तालाब, मैदान, पेड़-पौधों से भरे परिसर पर ले जाकर प्रयोग आधारित शिक्षा देते हैं। राठौर ने बताया बचपन में मैं गरीब था और बैक बेंचर रहा। अधिकांश समय शिक्षक मुझे ठीक से समझा नहीं पाते थे। इसलिए अब मैं शिक्षक बनकर बच्चों को व्यक्तिगत रूप से बच्चों को पढ़ाता हूं, ताकि वह ज्यादा विषय के बारे में समझ सकें।

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