- भस्म आरती: भगवान का अभिषेक कर सूखे मेवे, सिंदूर, आभूषण से किया गया दिव्य श्रृंगार!
- महाकाल मंदिर में अवैध दर्शन घोटाला: रितेश शर्मा न्यायिक हिरासत में, तीन नए नाम उजागर
- उज्जैन में सिंहस्थ-2028 की तैयारी: 3 सड़कों के चौड़ीकरण को मिली मंजूरी, 31.37 करोड़ रुपये होंगे खर्च
- भस्म आरती: मस्तक पर त्रिशूल, डमरू, और चंद्र अर्पित कर किया गया बाबा महाकाल का राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार!
- नव वर्ष पर महाकाल मंदिर में भक्तों ने दिल खोलकर किया दान, भगवान को अर्पित किए रजत अभिषेक पात्र और मुकुट
शिप्रा नदी की दुर्दशा के खिलाफ आंदोलन पर मंथन
उज्जैन। मोक्षदायिनी मां शिप्रा की दुर्दशा से संत समाज आक्रोशित है। बुधवार को उज्जैन के समस्त संतों ने बैठक कर शिप्रा की शिप्रा की दुर्दशा के खिलाफ आंदोलन पर मंथन किया। षट्दर्शन संत मंडल, उज्जैन की अगुवाई में बैठक भगवान दत्तात्रेय अखाड़ा परिसर (दत्त अखाड़ा) रामघाट पर आयोजित होगी।
षटदर्शन संत मंडल के वरिष्ठ सदस्य महंत डा. रामेश्वरदास ने बताया कि शिप्रा जल को निर्मल और शुद्ध किए बिना, शिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त किए बिना उज्जैन में विकास के दावे करना बेमानी है। महंत डा. रामेश्वर दास ने बताया कि संत समाज सिंहस्थ पूर्व से ही इंदौर से बहकर उज्जैन आने वाले गंदे पानी को ओपन नहर के माध्यम से शिप्रा नदी में मिलने से रोकने की मांग करता रहा है। राज्यशासन शासन के कतिपय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने संतजनों की इस मांग को दरकिनार कर पाईप लाइन के जरिए डायवर्शन की योजना को लागू किया। लगभग 150 करोड़ रूपए की यह योजना औचित्यहीन होकर रह गई है। अब तो स्थिति यह है कि स्नान पर्वो के अवसर पर बिना नर्मदा का जल लाए स्नान कराना असंभव हो गया है।