शैव महोत्सव में झारखंड बैद्यनाथ को ज्योतिर्लिंग नहीं बताने पर आपत्ति

उज्जैन | बीते दिनों में उज्जैन के महाकाल में हुए शैव महोत्सव में बारह ज्योतिर्लिंग में झारखंड के बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की जगह महाराष्ट्र के परभनी जिला के परली गांव स्थित बैद्यनाथ को ज्योतिर्लिंग झांकी के रूप में शामिल करने को लेकर अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के देवघर शाखा के सदस्य सह मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्यों ने आपत्ति जताई है। देवघर के अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा ने उज्जैल प्रबंधन व शैव महोत्सव के संयोजक माखन सिंह को पत्राचार कर खुले मंच पर अपना तर्क रखने को कहा है।

अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के महामंत्री दुर्लभ मिश्र ने बताया कि इस महोत्सव में हमारे बैद्यनाथधाम के ज्योतिर्लिंग न बताकर परली स्थित बैद्यनाथ को ज्योतिर्लिंग बताया गया, जिसका हम लोगों ने विरोध किया है। साथ ही इसपर आपत्ति भी दर्ज की है। उन्होंने बताया कि शिव पुराण, पद्म पुराण, लिंग पुराण आदि में जो रावण द्वारा बैद्यनाथ को स्थापित करने की कथा बताई गई है, उसके अनुसार झारखंड के देवघर में ही बैद्यनाथ विराजमान है और इसी तथ्य पर आदि गुरु शंकराचार्य ने द्वादश ज्योतिर्लिंग पर श्लोक का वर्णन किया है, जिसमें कहा गया है कि चिताभूमि में बैद्यनाथ विराजमान हैं और देवघर में ही सती का हृदय गिरा था और यहीं पर उनका अंतिम संस्कार हुआ था। इस कारण इसे चिताभूमि कहते हैं और इसलिए कहा गया है कि चिताभुमौं च बैद्यनाथः लेकिन शैव महोत्सव में इसे बैद्यनाथ बताकर महाराष्ट्र के परभनी जिला के परली गांव में स्थापित मंदिर को बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग बताया गया जो आदि गुरु शंकराचार्य व पुराणों के विपरित है। जिसका देवघर बैद्यनाथ प्रबंधन समिति व अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा विरोध करती है और इस मुद्दे को खुले मंच पर चर्चा करने की खुली चुनौती देती है।

उन्होंने उज्जैन प्रबंधन समिति मंदिर प्रबंधन को वहां के शिलापट्ट परली बैद्यनाथ को संशोधन कर झारखंड बैद्यनाथ करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि पूर्व में शिलापट्ट पर बिहार बैद्यनाथ लिखा था, जिसे हटाकर परली किया गया। उन्होंने बताया कि यह पूरे देवघर की सम्मान की बात व पुरोहित के सम्मान की बात है। यहां का इतिहास सात हजार वर्ष पुराना है। उन्होंने कहा कि पांच से सात जनवरी तक वहां पर शैव महोत्सव का आयोजन कर बारह ज्योतिर्लिंग की झांकी निकाली गई, जिसमें झारखंड बैद्यनाथ की जगह परली को बैद्यनाथ दिखाया गया। हमलोगों ने वहां भी पत्रकार वार्ता कर विरोध जताया और महोत्सव के संयोजक को इस पर बात स्पष्ट करने को कहाए जिसपर उन्होंने आश्वासन दिया कि इसपर धर्माचार्य से बात कर निर्णय लिया जाएगा।

चारों पीठ के शंकराचार्यों से मिलेगा प्रतिनिधिमंडल

अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के वरीय उपाध्यक्ष बिनोद दत्त द्वारी ने बताया कि जल्द ही हम लोग यहां के विद्वानों के साथ बैठक कर पुराणों में दिए गए तथ्यों व विद्वानों की राय का संकलन कर एक प्रतिनिधिमंडल चारों पीठ के शंकराचार्य से मिलेंगे और उनसे प्रमाण लिया जाएगा कि झारखंड बैद्यनाथ है या परली बैद्यनाथ है जिले ज्योतिर्लिंग का दर्जा मिला है। इसके बाद भी अगर उज्जैन प्रबंधन नहीं मानती है तो हमलोग न्यायालय की शरण में जाकर अपने तथ्योें को रखेंगे। ऐसा कर उज्जैन प्रबंधन लोगों की भ्रम पैदा करने का काम रही है। उन्होंने यहां से सभी लोगों से अपील की सभी विद्वान इस पर अपना तर्क दें क्योंकि यह देवघर की आस्था का सवाल है। मौके पर पन्ना लाल कुंजिलवार, गोपाल महाराज, मणि अड़ेवार, जयनाथ शृंगारी, प्रेमलाल पांडे, मारकण्डे फलाहारी, सिद्धिनाथ मिश्र सहित अन्य लोग मौजूद थे।

Leave a Comment