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श्रीकृष्ण सरल ने क्रांतिकारियों पर लिखे कई महाकाव्य:भगत सिंह की माँ को वचन दिया और निभाया भी
श्रीकृष्ण सरल को महान साहित्यकारों में से एक माना जाता है उन्होंने अपने साहित्य में आजादी के मतवालों का ऐसा वर्णन किया कि जिसको लेकर देशभर में उनकी सराहना की जाती थी। महान क्रांतिवीर भगत सिंह की मां को तो श्रीकृष्ण सरल ने वचन दिया था कि भगत सिंह पर एक किताब जरूर लिखेंगे और उन्होंने अपना यह वचन निभाया भी सही।
सरल ने अपने जीवन में 15 महाकाव्य चार खंडकाव्य 28 कविता संग्रह कई साहित्य लिखें जिससे उन्हें देश भर में सराहा गया चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह सुभाष चंद्र जैसों पर लिखी किताबें उनकी खास कृतियां है। 1 जनवरी 1919 में मध्य प्रदेश के गुना में जन्मे श्री कृष्ण बिरथरे को पढ़ाई का बहुत शौक था, जिसके चलते उन्होंने स्कूल में दाखिला लेने के लिए अपनी उम्र 2 वर्ष ज्यादा बता कर स्कूल में एडमिशन ले लिया था। बचपन से ही में साहित्य लिखने में जुटे रहे, जिसके चलते उनके गुरु ने उनका नाम के पीछे सरल की उपाधि दी और तभी से उनका नाम श्री कृष्ण सरल हो गया
प्रोफ़ेसर के पद रहे
सरल 1962 में उज्जैन आए और तभी से उज्जैन के होकर रह गए यहां पर उन्होंने नरसिंहगढ़ के हायर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षक की नौकरी के बाद उज्जैन के पीजीपीटी कालेज में प्रोफ़ेसर की नौकरी की और उज्जैन से ही रिटायर हुए श्रीकृष्ण सरल के दो बेटे और दो बेटियां थी जिसमें बड़े बेटे प्रदीप कुमार शर्मा बैंक में अधिकारी के पद पर तैनात रहे साथ ही उनका छोटा बेटा धर्मेंद्र कुमार शर्मा भोपाल में विक्रय कर अधिकारी के रूप में पदस्थ था फिलहाल दोनों ही रिटायर्ड हो चुके हैं उनकी दो बेटियों में से एक बेटी की मौत हो चुकी है और एक बेटी उज्जैन में ही निवासरत है
देश प्रेम के महाकाव्य लिखे
उज्जैन की दशहरा मैदान कॉलोनी में रहने वाले श्रीकृष्ण सरल के बड़े बेटे प्रदीप कुमार शर्मा अभी उसी घर में रहते हैं जहां पर सरल रहा करते थे आज भी उनके घर में उनकी यादें संजी हुई है। उनकी एक बड़ी अलमारी जिसमें साहित्य की किताबें देखी जा सकती है साथ ही उनके ग्रंथ महाकाव्य भी दिखाई देते हैं उनके बेटे प्रदीप कुमार शर्मा ने बताया कि बाबूजी शुरू से ही साहित्य में रुचि रखते थे। अपने साहित्य और देश प्रेम का अलख जगाने के लिए कई किताबें में उन्होंने मुफ्त में ही लिख दी। किसी भी कार्यक्रम में वे जाते तो देश प्रेम से ओतप्रोत पम्फलेट जरूर बाटते थे।
125 किताबे लिखी
श्रीकृष्ण सरल ने अपने जीवन में 125 किताबें लिखी इस दौरान उनके व्यक्तित्व के चलते कई राजनेताओं से उनके संबंध भी रहे प्रदीप कुमार शर्मा ने बताया कि बड़े राजनेताओं से संबंध होने के बावजूद भी उन्होंने कभी भी व्यक्तिगत फायदा नहीं उठाया बल्कि वह इन सभी से दूर ही रहना पसंद करते थे देशभर से उनके पास पत्र आते थे उनकी किताबों की हमेशा एडवांस बुकिंग होती थी इसके बावजूद भी वह परिवार और समाज के लिए समय निकालते थे
क्रांतिकारी साहित्य को पाठ्यक्रम में लाए
प्रदीप कुमार शर्मा ने मध्य प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है कि श्री कृष्ण सरल के क्रांतिकारी साहित्य और उनकी लेखनी को पाठ्यक्रम में लेना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी उनके बारे में जान सकें।
प्रमुख महाकाव्य
चन्द्र शेखर आजाद
भगतसिंह
सुभाषचन्द्र
जय सुभाष
शहीद अश्फाक उल्ला खाँ
विवेक श्री
स्वराज्य तिलक
अम्बेडकर दर्शन
क्रान्ति ज्वालकामा
बागी करतार
क्रांति गंगा
प्रमुख खण्ड-काव्य
. कवि और सैनिक
महारानी अहिल्याबाई
श्रीकृष्ण सरत
अद्भुत कवि सम्मेलन
जीवंत आहुति
प्रमुख कविता-संग्रह
बाप स्मृति ग्रंथ
मुक्ति गान
स्मृति पूजा
बच्चों की फुलवारी
स्नेह सौरभ
काव्य कुसुम
किरण कुसुम
मुझको यह धरती प्यारी है
हेड मास्टरजी का पायजामा
भारत का खून उबलता है
रक्त गंगा राष्ट्र
भारती काव्य मुक्ता
वतन हमारा
काव्य कथानक
विवेकांजलि