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सूदखोरों की प्रताड़ना से परेशान यूडीए के प्यून ने दे दी जान, दो हजार 26 दिन बाद हो गए थे 5300 रुपए
विकास प्राधिकरण में पदस्थ प्यून को सूदखोरों ने इतना प्रताड़ित किया कि उसने दफ्तर जाना बंद कर दिया और बुधवार दोपहर घर में फांसी लगा ली। दोपहर में सूदखोर प्राधिकरण में पैसा लेने के लिए प्यून को तलाशने भी गए। भाई ने आरोप लगाया कि सूदखोरों ने मुझे भी धमकाया था कि आज पैसा लेकर रहेंगे नहीं तो अंजाम अच्छा नहीं होगा।
धमकी से खौफजदा प्यून ने आत्महत्या कर ली, लेकिन यह आत्महत्या नहीं, हत्या है। क्योंकि पीड़ित ने सूदखोरों से त्रस्त होकर यह कदम उठाया। इसमें पुलिस की भूमिका भी सुस्त रही। केस दर्ज करने के बाद गंभीरता बरतते हुए तुरंत एक्शन लेती तो संभवत: यह घटना नहीं होती। विजय सोलंकी प्राधिकरण में अस्थायी कर्मचारी था और कुछ समय से नशा करने लगा था। पिछले दिनों मनोज भदौरिया व सुरेश कुशवाह नामक सूदखोर बंदूक लेकर उससे प्राधिकरण में पैसा वसूलने पहुंच गए थे, जिसके बाद दोनों के खिलाफ माधवनगर पुलिस ने केस दर्ज किया था।
घटना के बाद एक सप्ताह से आनंदनगर का पप्पू धाकड़ और दीपक मरमट रुपए के लिए विजय को धमका रहे थे। इसी कारण बुधवार दोपहर उसने महानंदानगर स्थित घर में वेंटिलेशन से फंदा लगा लिया। मृतक के भाई जय ने बताया पप्पू बीचवान है। उसने आनंदनगर निवासी एक पुलिसकर्मी से भी भाई को दस हजार रुपए डेली कलेक्शन पर दिलाए थे।
दो हजार डेली कलेक्शन पर दिए, 26 दिन में पेनल्टी लगा 5300 हो गए
विजय का भाई जयसिंह सोलंकी भी प्राधिकरण में कर्मचारी है। जय ने आरोप लगाया कि सूदखोर पप्पू धाकड़ व पप्पू मरमट ने भाई का जीना मुश्किल कर दिया था। बुधवार दोपहर में पप्पू उर्फ पंकज प्राधिकरण में भाई को तलाशते हुए आए थे बोले थे कि आज पैसा लेकर रहेंगे। मुझे भी धमका रहे थे।
उन्हीं की प्रताड़ना के चलते भाई ने आत्महत्या कर ली। जय ने यह भी बताया कि 5 जनवरी को पप्पू ने दीपक से भाई को दो हजार रुपए डेली कलेक्शन पर दिलाए थे। 26 दिन में 100 रुपए रोज की पेनल्टी व चक्रवृद्धि ब्याज लगाकर दोनों ने 5300 रुपए कर दिए। इसके बाद लगातार धमका भी रहे थे।
ब्लैंक स्टाम्प और चेक पर साइन, 10 हजार लो तो मिलते हैं 8, हर चूक पर दोगुना पेनल्टी ले जाती है मौत की तरफ
शहर में सूदखोरी का यह पहला मामला सामने नहीं आया। इसके पहले भी सूदखोरी को लेकर कई बार आत्महत्या की घटनाएं सामने आ चुकी है। पिछले दिनों फोटोग्राफर नीलेश शेल्के ने भी सूदखोरों से की प्रताड़ना से तंग आकर ही आत्महत्या की थी। उसके आरोपी अभी तक पुलिस नहीं पकड़ पाई।
दीपावली के पूर्व गोपाल मंदिर के समीप निवासी गोपाल सोनी के बेटे से सूदखोरों ने कार छीन ली थी, जिसके बाद छात्र ने आत्महत्या का प्रयास किया था। शहर में सूदखोर ठेले, गुमटी समेत गरीब तबके को अपने जाल में फंसाए हुए हैं। बतौर उदाहरण किसी को दस हजार रुपए चाहिए तो उससे कोरे स्टाम्प पर साइन कराते हैं व ब्लैंक चेक लेने के बाद ब्याज काटकर आठ हजार रुपए देते हैं।
200 रुपए रोज पैसा वापस चाहिए। एक दिन अगर देरी हुई तो पेनल्टी दो सौ रुपए बढ़ जाती है। इस तरह लगातार इतनी पेनल्टी बढ़ाते कि जितना मूल लिया नहीं, उससे कई गुना अधिक ब्याज चढ़ जाता है और पैसा लेने वाला व्यक्ति सूदखोरों के जाल में उलझकर आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर मजबूर होता है। क्योंकि इसमें साहूकारी एक्ट की धारा जमानती होने से सूदखोरों को डर नहीं है। इन पर रासुका जैसी बड़ी कार्रवाई हो तभी अंकुश लगेगा।
मौत…मौत…मौत और आपकी चुप्पी
कितनी सस्ती हो गई जिंदगी। महज 5 हजार रुपए के लिए खत्म कर दी गई। क्या इस शहर में ऐसी मौतें देने के लिए लाइसेंस मिला हुआ है? फोटोग्राफर शेल्के से लेकर यूडीए के प्यून तक की मौत यही बता रही है। कार्रवाई के नाम पर सख्ती शुरू होती है, लेकिन लचर कानून और सामान्य धाराएं किसी काम की नहीं रहतीं।
अगर 18 अक्टूबर 2020 को यूडीए में बंदूक के दम पर मिली धमकी के बाद ही सख्ती बढ़ गई होती तो फिर एक जान न जाती। प्रशासन और पुलिस अब सूदखोरों के खिलाफ मोर्चा खोले। सीधे रासुका की कार्रवाई हो। गलत तरीके से रुपए वसूलने वालों के भी उसी तरह मकान तोड़े जाएं, जैसे गुंडे-बदमाशों के तोड़े जाते हैं। इन लोगों की कमर तोड़ना होगी। ऐसा डर पैदा करना होगा कि रुपयों के नाम पर जिंदगी छीनने वाले शहर में टिक न पाएं।