सूदखोरों में पुलिस का खौफ नहीं

पठानी ब्याज में दबकर लोग कर रहे आत्महत्या

एक ओर पुलिस द्वारा गुंडे बदमाशों के खिलाफ शहर में प्रभावी कार्रवाई की जा रही है वहीं दूसरी ओर सूदखोर बेखौफ होकर जरूरतमंदों की मजबूरी का फायदा उठाकर 10 से 20 प्रतिशत के पठानी ब्याज वसूल रहे हैं।

नतीजतन लोग आत्महत्या तक को मजबूर हो रहे हैं, जबकि पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ मामूली धाराओं में कार्रवाई इतिश्री कर रही है। अनाज व्यापारी मनीष जैन ने शुक्रवार को सूदखोरों से परेशान होकर जहर खा लिया था।

उसके पास से मिले सुसाइड नोट में लिखा कि वो सूदखोरों के कारण जान दे रहा है। मरने से पहले उसने भाई राजेन्द्र को भी वाट्सअप कर हालात से अवगत कराकर सूदखोरों के नाम बताये थे।

राजेन्द्र के इस बयान के बाद भी चिमनगंज पुलिस इस पत्र की हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से जांच के बाद दोषियों पर प्रकरण दर्ज की बात कह रही है। अब सवाल यह उठता है कि नाम सामने आने के बाद भी इन सफेदपोश लोगों को प्रश्रय देने की वजह क्या है।

इलेक्ट्रिशियन कूदा था ट्रेन के सामने

इसके पहले इलेक्ट्रिक कार्य करने वाले इंगले ने जयसिंहपुरा रेलवे फाटक पर ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या की थी। उसके पास से भी पुलिस ने चार पेज का सुसाइड नोट बरामद किया था।

जिसमें वीडी मार्केट के व्यवसायी और मैरिज गार्डन संचालकों द्वारा ब्याज पर दिये रुपये नहीं लौटाने पर धमकाने की बात लिखी थी। महाकाल पुलिस ने सुसाइड नोट की जांच के बाद 4 लोगों के खिलाफ धारा 306, 120 के तहत प्रकरण दर्ज किया, लेकिन गिरफ्तारी अब तक नहीं हो पाई। इसी प्रकार राजेन्द्र नगर निवासी एक अन्य युवक ने भी ब्याज खोरों से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी।

पहले आईजी जैन ने चलाई थी मुहिम

पूर्व आईजी पवन जैन ने सूदखोरों के आतंक से गरीबों और जरूरतमंदों को मुक्त कराने के लिये एक मुहिम चलाई थी जिसके अंतर्गत यदि कोई सूदखोर किसी व्यक्ति को पठान ब्याज वसूलते हुए मारपीट, धमकी अथवा हानि पहुंचाता है तो उसके खिलाफ पुलिस द्वारा कार्रवाई की गई।

इसी मुहिम के तहत थानों में सूदखोरों से प्रताडि़त लोगों की अलग से सुनवाई करने के साथ शिकायती बॉक्स भी लगाये गये थे, लेकिन उनके ट्रांसफर के बाद आज तक पुलिस ने ऐसी कोई मुहिम नहीं चलाई।

धंधा वही, तरीका नया

ब्याज का धंधा करने वालों ने गरीब बस्तियों और शासकीय कार्यालयों में अब अपने धंधे को नये तरीके से शुरू कर दिया है। ब्याज के कारोबार में लगे लोग अब जरूरतमंदों की डायरी बनाते हैं और एकमुश्त रुपये देने के बाद प्रति सप्ताह या 15 दिनों में निश्चित राशि वापस ली जाती है।

जितने रुपये उधार दिये जाते हैं उसमें घटते क्रम में ब्याज भी जोड़ा जाता है। यदि इस तरीके से कोई व्यक्ति उधार रुपये लेता है तो उसे डेढ़ से दो गुना रुपये लौटाने होते हैं। खास बात यह कि किश्त छूटने पर छूटी हुई राशि पर भी ब्याज वसूला जाता है।

इन क्षेत्रों में चल रही डायरियां

शहर की गरीब बस्तियों और कालोनियों के अलावा बाजारों में ठेले गुमटी लगाने वालों और शासकीय कार्यालयों में डायरी सिस्टम से लोगों को बिना किसी गवाह अथवा कुछ गिरवी रखे बिना रुपये उधार दिये जा रहे हैं।

छोटे व्यापारी और जरूरतमंदों को उक्त लोग निशाना बना रहे हैं जिनमें शास्त्री नगर, नीलगंगा जबरन कॉलोनी, विराट नगर, शहीद नगर, शांति नगर के अलावा नगर निगम, आरटीओ, भरतपुरी प्रशासनिक क्षेत्रों में यह धंधा चल रहा है।

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