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स्वरोजगार का प्रशिक्षण:रोजगार देने की तैयारी तो है, कॉलेजों ने कंपनियों व उद्योगों से किए 359 एमओयू
- ढाई लाख बच्चों को दिया जा रहा स्वरोजगार का प्रशिक्षण, साल के अंत तक सबको देंगे प्रमाण-पत्र ताकि मिल सके बैंक लोन
सरकार पर सबसे बड़ा आरोप इन दिनों रोजगार नहीं दे पाने का है। शायद इसीलिए चुनाव के पहले मध्यप्रदेश सरकार ने बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध करवाने की तैयारी की है। इसके तहत पूरे राज्य के सरकारी कॉलेज सीधे कंपनियों व उद्योगों से एमओयू कर रहे हैं। प्लेसमेंट कैंप लगवा रहे हैं और ट्रेनिंग, इंटर्नशिप के रूप में ग्रेजुएशन के साथ ही नौकरी या अन्य तरह के रोजगार दिलवा रहे हैं। जानकारी के अनुसार अब तक प्रदेश में इसके तहत कुल 359 एमओयू किए जा चुके हैं। इनमें हजारों विद्यार्थियों को रोजगार मिलना भी शुरू हो गया है।
सबसे बड़ी बात ये कि कंपनियां नॉन टेक्निकल यानी सिंपल बीए, बीएससी और बीकॉम के बच्चों को जॉब्स दे रही है। कुछ उदाहरण ये हैं- सिस्को ने छिंदवाड़ा में 63 बच्चों का चयन किया। जबलपुर में टीसीएस ने 300 बच्चियों का ट्रेनिंग के लिए चयन किया। रीवा, सीधी, मैहर और उमरिया के सरकारी कॉलेजों में विप्रो, बजाज, जस्ट डायल, एलआईसी और श्रीराम फायनेंस जैसी कंपनियों ने कुल 1257 बच्चों को काम दिया है। उच्च शिक्षा विभाग दरअसल आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के तहत रोजगार की योजनाओं काे चला रहा है। स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन योजना नाम दिया है सरकार ने इस पूरे कार्यक्रम का। इसके निदेशक डॉ. उमेशकुमार सिंह के अनुसार इसमें तीन तरह से काम हो रहा है। पहला पूरे प्रदेश के ढाई लाख बच्चों को काम से जुड़ी ट्रेनिंग के लिए प्रशासन एकेडमी के साथ करार किया गया। इन सभी बच्चों को साल के अंत तक ट्रेनिंग के बाद एमएसएमई यानी लघु उद्योग विभाग से अलग सर्टिफिकेट जारी कर दिए जाएंगे। यह सर्टिफिकेट अपने काम के लिए कर्ज दिलाने में मदद करेंगे। पर्यटन, एग्रीकल्चर, मोती उत्पादन, खनिज, मुर्गी पालन, मछली पालन जैसे कई कोर्स अलग से करवाए जा रहे हैं। तीसरा सबसे महत्वपूर्ण है कि हमने सभी सरकारी कॉलेजों से कहा है कि अपने स्तर पर देशभर की कंपनियों से बात करें। उनकी जरूरत के मुताबिक बच्चों को शिक्षा दें और कंपनियों से रोजगार के लिए एमओयू कर लें, ताकि बच्चों को सीधे नौकरियां मिल सकें। बड़ी बात ये है कि कंपनियां भी पारंपरिक कोर्स वाले बच्चों को प्राथमिकता दे रही है।