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हाउसिंग बोर्ड उपलब्ध कराएगा सस्ते मकान और जिला अस्पताल में बच्चों के लिए भी नई सुविधा
उज्जैन | हाउसिंग बोर्ड अपनी आवासीय योजनाओं में लोगों को 955 स्क्वेयर फीट (88.72 वर्ग मीटर) का प्लाॅट अब 15.53 लाख में देगा। प्लाॅट एचआईजी श्रेणी के होंगे। यह प्राॅपर्टी फ्री होल्ड होगी यानी आपको लीज राशि से मुक्ति मिल सकेगी। लोग ऑनलाइन आवेदन जमा कर सकेंगे। राशि जमा करने के लिए बैंकों के चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे। ऑनलाइन राशि जमा कर सकेंगे।
हाउसिंग बोर्ड महाशक्तिनगर आवासीय योजना में एचआईजी श्रेणी के प्लाॅट लोगों को उपलब्ध करवाएगा। यहां पर विकास कार्य पूरे कर लिए हैं। अब प्लाॅट खरीद सकेंगे। आवेदन व ऑफर जमा करने के लिए आपको वेबसाइट www.mphousing.in एवं www.mponline.gov.in पर जाना होगा। यहां ऑनलाइन आवेदन जमा कर सकेंगे। राशि जमा करने के लिए लोगों को बैंक के चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे। धरोहर व बाकी राशि भी ऑनलाइन जमा कर सकेंगे। एमपी ऑनलाइन हेल्प लाइन नंबर 0755 4019400 की भी मदद ले सकते हैं। प्लाॅट की कीमत 15.53 लाख रखी गई है। काॅर्नर के प्लाॅट के 1.55 लाख रुपए ज्यादा चुकाना होंगे। आवेदन व उसका शुल्क करीब 1000 रुपए तथा धरोहर राशि करीब 3.11 लाख ऑनलाइन व आरटीजीएस से जमा होगी। 30 जून को ऑफर खोले जाएंगे। इसके बाद चयनित हितग्राहियों को प्लॉट आवंटन की प्रक्रिया शुरू होगी।
जिला अस्पताल में अब बच्चों का 24 घंटे इलाज, इमरजेंसी कक्ष भी शुरू होगा
बच्चों को जिला अस्पताल में भी इलाज मिल सकेगा। मुख्य बिल्डिंग में इमरजेंसी कक्ष भी शुरू होगा, जिसमें डॉक्टर, कंपाउंडर, स्टाफ नर्स आदि मौजूद रहेंगे। यहां बच्चों का 24 घंटे इलाज किया जाएगा, जिन बच्चों को भर्ती करने की आवश्यकता होगी, उन्हें चरक अस्पताल में संचालित शिशु वार्ड में भेज दिया जाएगा। शिशु वार्ड में रात में बच्चों के डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पाने की समस्या को देखते हुए जिला अस्पताल प्रशासन यह व्यवस्था करने जा रहा है। बच्चों की इमरजेंसी पुरानी इमरजेंसी के सामने की ओर होगी। अभी शिशु वार्ड में रात में कई मर्तबा डॉक्टर उपलब्ध नहीं रहते हैं। परिजनों को कहा जाता है कि एसएनसीयू के डॉक्टर को दिखा दो। यहां डॉक्टर यह तर्क देकर उपचार करने से इंकार कर देता है कि एसएनसीयू में 0 से 9 माह तक के बच्चे का इलाज किया जाता है। बच्चे को जिला अस्पताल लेकर जाओ। यहां के डॉक्टर परिजनों को सलाह देते हैं कि बच्चे को शिशु वार्ड में लेकर जाओ। यहां-वहां ले जाने में बच्चे की हालत बिगड़ती जाती है। पूर्व में कई बच्चों की इस वजह से जान जा चुकी है।
डॉक्टर नहीं मिलने से पहले हो चुके कई विवाद
जिला अस्पताल में रात में डॉक्टरों के नहीं मिलने से बच्चों की मौत तक हो चुकी है। इसे लेकर कई बार परिजन स्टाफ व डॉक्टरों तक से मारपीट कर चुके हैं। शिशु वार्ड में डॉक्टरों के नहीं होने की शिकायत अफसरों तक भी पहंुची है। इसके बाद अब यह नई व्यवस्था शुरू की जा रही है। इससे समय पर इलाज की उम्मीद है। आए दिन होने वाले विवादों पर भी इससे रोक लगेगी।