अखिल भारतीय कालिदास समारोह की छठी सन्ध्या पर कालिदास अकादमी के मुक्ताकाशी मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए। कार्यक्रमों की कड़ी में प्रथम प्रस्तुति नईदिल्ली की कलाकार विद्या शाह के शास्त्रीय गायन से हुई। उनकी संगति में हार्मोनियम पर  बदलु खां, तबले पर शान्तिभूषण, साइड रिदम पर सतीशकुमार सोलंकी और तानपुरे पर विनीता माहोरकर थे।

इसके पश्चात संस्कृत नाटक ‘कर्णभारम’ की प्रस्तुति त्रिवेंद्रम की सोपानम संस्था द्वारा की गई। उल्लेखनीय है कि ‘कर्णभारम’ का कथानक महाकाव्य महाभारत से लिया गया है। नाटक के पात्रों में कर्ण की भूमिका गिरीशन वी., शाल्यार-साजीकुमार, कुंती-मोहिनी विनयन, सूर्य-श्रीकान्त शंकर, इन्द्र-शिवकुमार तथा अन्य साथी उपस्थित थे। नाटक का निर्देशन कावलम नारायण पणिक्कर द्वारा किया गया।

इसके पश्चात उज्जैन की त्रिनेत्र सांस्कृतिक संस्था द्वारा स्वप्नवासवदत्ता (सपने में रानी) नाट्य का प्रस्तुतिकरण किया गया। स्वप्नवासवदत्ता महाकवि भास की रचना पर आधारित है। नाटक में नट की भूमिका अभिषेक गोस्वामी, नटी-जया जयपाल, उदयन-जगरूपसिंह, वासवदत्ता-मयूरी सक्सेना, विदुषक-कुमार शिवम, प्रतिहारी-विनीता परमार और नगरजन की भूमिका प्रज्वलित चौहान, ज्योति, भूमिका व अपूर्वा द्वारा निभाई गई।

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