2 करोड़ का राजस्व नुकसान होता है हर साल फल मंडी से

उज्जैन | इसे प्रशासन की लापरवाही ही कहा जाएगा कि चिमनगंज अनाज मंडी के साथ ही वर्ष २००८ में फल मंडी की शुरुआत की गई थी किंतु बीते ९ वर्ष में भी पूरी तरह फलों का कारोबार चिमनगंज फल मंडी के नियंत्रण में नहीं आ पाया है।

मोटे तौर पर प्रतिवर्ष अनुमानत: दो करोड़ रुपए की राजस्व हानि भी हो रही है।चिमनगंज मंडी के साथ फल एवं सब्जी मंडी को भी एकजय इसलिए किया गया था कि चिमनगंज मंडी में किसानों के लिए तमाम सुविधाएं प्रदान की जाएं।

यहां आवास, सस्ता भोजन, माल की सुरक्षा, व्यापारियों से भुगतान में मंडी प्रशासन का हस्तक्षेप तथा एक स्थान से किसानों की पैदावार का विक्रय व यातायात की बाधाओं को दूर किया जा सकें। इसके विपरीत प्रशासन की लचरता के चलते फल मंडी का बेनामी कारोबार जामा मस्जिद-खजूर वाली मस्जिद क्षेत्र में सब्जी मंडी के साथ चल रहा है। जहां न तो फल की आवक का कोई वैधानिक हिसाब है और न किसानों को कोई सुविधा है। प्रशासनिक नियंत्रण नहीं होने से यह बेनामी कारोबार बदस्तूर जारी है।

यह है पीड़ा : यहां राम फ्रूट एजेंसी, सांई फू्रट एजेंसी के अलावा अन्य दुकानें लंबे समय से कारोबार नहीं कर रहीं, सिर्फ दुकानों पर बोर्ड अवश्य लगे हैं। व्यापारियों की पीड़ा यह है कि अधिकांश कारोबार खजूरवाली-जामा मस्जिद क्षेत्र छत्रीचौक मंडी में होता है। यहां टैक्स भी नहीं देना पड़ता है। अत: यहां चिमनगंज फल मंडी में कारोबार भला क्यों करें।

फलों से इतना मिलता है टैक्स
वर्तमान में शासन स्तर पर केले व संतरे की बिकवाली पर एक प्रतिशत टैक्स लगता है। वहीं अन्य फलों पर दो प्रतिशत टैक्स का प्रावधान है। यहां अनुमानत: वर्ष में एक करोड़ रुपए का भी राजस्व नहीं जुट रहा। मंडी प्रशासन भी मानता है कि यदि पूरी तरह फल मंडी से ही कारोबार होगा तो कम से कम मंडी टैक्स की राशि तीन करोड़ के आसपास पहुंच जाएगी।

संतरे, तरबूज की बड़ी आवक
यहां फलों के कारोबार को देखे तो संतरे, तरबूज, अमरूद, चीकू, अनार, पपीता की फसल स्थानीय किसान बड़ी मात्रा में लेते हैं। इसके अलावा मालेगांव से अनार तथा हिमाचल व काश्मीर से सेवफल व अन्य मौसमी फल आते हैं। मंडी प्रशासन की विवशता यह है कि जिला प्रशासनिक की सख्ती के बगैर वह फल मंडी में फलों के कारोबार को केंद्रीत नहीं कर सकता है।

चिमनगंज में ही लगे मंडी
फल मंडी पूरी तरह चिमनगंज फल मंडी में लगना चाहिए। यहां फल मंडी विकसित करने का उद्देश्य किसानों को अच्छे भाव, अच्छी यातायात व्यवस्था, सस्ता भोजन, सुरक्षित नीलामी और भुगतान व्यवस्था में मंडी प्रशासन का सहयोग प्रदान करना था। अभी अधिकांशत: कारोबार खजूर वाली मस्जिद-जामा मस्जिद छत्रीचौक क्षेत्र में हो रहा है। हमने पूर्व में भी इस बेनामी कारोबार के संबंध में तथा हो रही राजस्व हानि के संबंध में प्रशासन को अवगत कराया है। पुन: प्रयास करेंगे ताकि राजस्व हानि रुके। यदि फल कारोबार फल मंडी के नियंत्रण में आया तो राजस्व तिगुना हो जाएगा। वर्तमान में एक करोड़ रु. का राजस्व फल मंडी से प्राप्त होता है।

– बहादुरसिंह बोरमुंडला,अध्यक्ष, कृषि उपज मंडी

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