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200 से 1000 रुपए तक देकर मरीजों को प्रायवेट लैब में कराना पड़ रही जांच
उज्जैन। जिले के सबसे बड़े अस्पताल में मरीजों को उपचार के लिये आवश्यक जांचों की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही। लैब में शासन द्वारा चयनित आवश्यक 48 प्रकार की जांचों की सुविधा का बोर्ड तो लगाया गया है लेकिन हकीकत यह है कि लैब में 24 से भी आधी जांच की सुविधा मरीजों को मिल रही है। आवश्यक जांचों के लिये मरीजों को 200 से 1000 या इससे भी अधिक रुपये देकर प्रायवेट लैब में जांचें कराना पड़ रही हैं।
जिला चिकित्सालय में डॉक्टरों की कमी या अन्य असुविधाएं तो आम हो चुकी हैं लेकिन यहां मौजूद डॉक्टरों द्वारा मरीजों को उपचार के लिये लिखी जाने वाली शासन द्वारा चयनित 48 में से आधी जांचों की सुविधा भी मरीजों को उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। यदि गंभीर बीमारियों को छोड़ दिया जाये तो जिला चिकित्सालय में टायफाईड, पीलिया, थाईराईड जैसी बीमारियों की जांच सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो रही।
बताया जाता है कि शासन स्तर पर मिलने वाली जांच कीट के अभाव में लैब के डॉक्टर व कर्मचारी मरीजों को जांच से इंकार कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जिला चिकित्सालय में उपचार कराने वाले ऐसे मरीजों की संख्या अधिक है जो बीपीएल या इससे नीचे की श्रेणी में आते हैं और इस वर्ग के लोग निजी लैब में सैकड़ों रुपये खर्च कर बीमारी की जांचें नहीं करा पाते।