4 गांव…यहां कोई बंदिश नहीं:बुखार-सर्दी के मरीज होम क्वारेंटाइन, कोरोना संक्रमित

शहर से सटा गांव मालनवासा। सन्नाटा इसलिए क्योंकि दोपहर का वक्त था। कुछ बच्चे गलियों में खेल रहे थे। खजूर के पत्तों से झाडू बनाने में जुटा एक परिवार इस सन्नाटे को तोड़ रहा था। एक गली के मुहाने पर हर तरफ खजूर के पत्ते बिखरे पड़े थे। महिलाएं घुंघट में थी। सामने के ओटले पर दो युवा बैठे थे। हमने पास बुलाया और पूछा क्या गांव में वैक्सीनेशन हो गया है।

अविनाश सिलोदिया बोले- 70 घरों का छोटा सा गांव है। सरकारी स्कूल में वैक्सीनेशन के लिए शिविर लगा था तब ही सभी ने वैक्सीनेशन करवा लिया। क्या सभी ने टीके लगवा लिए। इस पर अविनाश ने कहा नहीं, 45 पार के 90 फीसदी लोगों ने टीके लगवाए हैं। युवाओं का नंबर अभी नहीं आया है।

कोरोना संक्रमण के बारे में रहवासियों ने कहा कि यहां अब तक कोई केस नहीं आया। खांसी, सर्दी, बुखार चलते रहते हैं। ज्यादा गंभीर होने पर जांच करवाने के लिए जाते हैं। गांव में भी सर्वे हुआ था जिसमें कोई गंभीर रोगी या कोरोना से मिलते-जुलते संक्रमण का व्यक्ति नहीं मिला।

शकरवासा: टीका लगाने अधिकांश बुजुर्ग खुद गए वैक्सीनेशन केंद्र पर

इंदौर-देवास मार्ग के मुहाने पर बसा गांव शकरवासा। 400 घरों की बस्ती। बड़े-बडे मकान। खेती मुख्य धंधा। गांव के नारायण पटेल ने कहा- 45 वर्ष और उससे ज्यादा के बुजुर्गों ने बड़े उत्साह से टीके लगवाए। गांव में किसी के आने पर भी रोक नहीं है। मंदिर बंद हैं लेकिन गांव को बंद नहीं किया।

टीके के लिए कई घरों से बुजुर्ग खुद ही चले गए। उन्हें सेंटर पर ले जाने की जरूरत तक नहीं पड़ी। यहां पर अधिकांश लोगों को केवल एक डोज ही लग पाया है। दूसरे के लिए इंतजार कर रहे हैं। युवाओं को टीका लगवाने की शुरुआत भी नहीं हुई है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया लेकिन अब तक न तो केंद्र तय हुआ न ही कोई मैसेज आया।

हरियाखेड़ी : 90 साल के बुजुर्ग भी लगवा चुके कोरोना का टीका

हरियाखेड़ी ही वह गांव है जहां नर्मदा का शिप्रा से मिलन हो रहा है। सीमेंट कांक्रीट की सड़क। आसपास फूलों के खेत। सामने एक बड़ा मकान। उसमें प्याज की सफाई करती महिलाएं। कुछ बच्चे भी थे। उन्हें देखकर ऐसा नहीं लगा कि वर्तमान में कोरोना संक्रमण का दौर चल रहा है।

गांव, शहर सभी जगह सन्नाटा है। कुर्सी पर बैठे नारायणसिंह बताते हैं कि वैक्सीनेशन के पहले यहां भी वैसा ही डर था लेकिन अब ऐसा नहीं है। 90 साल के बुजुर्ग भी टीका लगवा चुके हैं। मैंने खुद टीका लगवाया फिर पत्नी को भी लगवाने के लिए कहा। इस बार प्याज की फसल भरपूर हुई है। ऐसे में गांव के लोगों को यहीं पर रोजगार मिल रहा है।
हामूखेड़ी : आने-जाने में रोक-टोक तक नहीं, जो चाहे सो आए
देवास रोड का गांव हामूखेड़ी। प्रवेश पर ऐसा नहीं लगता कि कोई गांव है। कॉलोनियों की शृंखला। सामने छोटे-छोटे लेकिन अधिकांश मकान पक्के। रहवासी शंकरसिंह हलदरवा ने बताया गांव में शुरू से कोई रोक-टोक नहीं है। जो चाहे सो आए। कोरोना का कोई केस नहीं है।

अधिकांश लोगों ने जिनकी आयु 45 या ज्यादा है, टीके लगवा लिए हैं। भले ही एक डोज लगवाया है लेकिन वे वंचित नहीं हैं। उन्हें किसी ने केंद्र तक जाने के लिए नहीं कहा। गांव में 4 लोग होम क्वारेंटाइन हैं। उन्हें बुखार के साथ सर्दी, खांसी थी। अब वे भी ठीक हो रहे हैं। युवाओं ने टीके के लिए रजिस्ट्रेशन तो करवा लिया है लेकिन नंबर ही नहीं आया।

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