आबादी को दे दें बर्बादी का हिस्सा:हर सेंटर पर खराब हो रहे करीब 10 टीके

रजिस्ट्रेशन के बावजूद लोग टीकाकरण करवाने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में बची हुई वैक्सीन का उपयोग दूसरे लोगों के लिए किया जा सकता है। जिससे उज्जैन को कोरोना से सुरक्षित किया जा सकता है। इसमें ऐसे विभाग के कर्मचारियों काे शामिल किया जा सकता है, जिन्हें अब तक वैक्सीन नहीं लगी है।

वैक्सीनेशन का समय एक घंटे बढ़ाकर समय निर्धारित किया जाकर आम लोगों का भी वैक्सीनेशन किया जा सकता है। वैक्सीनेशन के आखिरी समय में 6 या 7 लोगों के पहुंचने की स्थिति में 4 से 10 डोज बर्बाद हो रहे हैं। जिनका सही उपयोग कर डोज को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है और शहर तथा जिले में वैक्सीनेशन भी बढ़ेगा।

कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए 18 से 45 साल और इससे अधिक उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन जरूरी है तभी उज्जैन पूरी तरह से सुरक्षित हो सकेगा और हम कोरोना का हराने में पूरी तरह से कामयाब हो सकेंगे। इसके लिए भास्कर ने वरिष्ठ चिकित्सक और जनप्रतिनिधियों से बात की तो वे भी बची हुई वैक्सीन का उपयोग इसी तरह किए जाने के पक्ष में हैं।

पहला कारण

एक सेंटर पर 100 लोगों को टीका लगाए जाने का टारगेट निर्धारित है, जिसके मान से वैक्सीनेशन का रजिस्ट्रेशन होता है यानी उनके स्लाॅट बुक होते हैं। इनमें से हर सेंटर पर 8 से 10 लोग किसी न किसी कारण टीका लगवाने के लिए नहीं पहुंच पाते हैं या रजिस्ट्रेशन के बाद टीका लगवाने का विचार अभी टाल देते हैं।

दूसरा कारण

हर सेंटर पर 3 से 5 वैक्सीन बच रही है। क्योंकि वॉयल खोलने के बाद इतने लोग कम आते हैं। ऐसे में वैक्सीन बर्बाद होती है। वैसे तो जिला टीकाकरण विभाग ने 6 से ज्यादा लोग आने पर वॉयल खोलने के आदेश दे रखे हैं लेकिन अंतिम समय तक भी इतने लोग नहीं आ पाते हैं तो मौजूद लोगों को खाली नहीं लौटाया जा सकता, इसलिए वॉयल को खोलना पड़ता है।

ये कर सकते हैं : जिनकी पहुंच से दूर वैक्सीन, बर्बाद हो रहे टीके से उन्हें दें मौक

सेंटर्स पर एक घंटे का समय बढ़ाकर उन विभागों के कर्मचारियों को टीके लगाए जा सकते हैं जो कि अब तक टीकाकरण से वंचित हैं। जैसे की बिजली कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर्स नहीं माना गया है। ऐसे में इस विभाग का मैदानी अमला टीकाकरण से वंचित रहा।

इनके अलावा आम लोगों को भी टीके लगाए जा सकते हैं या वेटिंग का आप्शन किया जा सकता है यानी एक सेंटर पर 110 या 120 लोगों का रजिस्ट्रेशन निर्धारित किया जाए ताकि 100 में से 90 लोगों के आने की स्थिति में वेटिंग के 10 लोगों को टीका लगाया जा सके। शहर के जनप्रतिनिधि भी इस बात पर राजी है कि बची हुई वैक्सीन बर्बाद होने या पेंडिंग होने की बजाए दूसरे लोगों के लिए उपयोग में ली जाए।

डॉक्टर से लेकर जनप्रतिनिधि तक सहमत, कलेक्टर के निर्णय का इंतजार

वैसे तो सेंटर्स पर आदेश दिए हुए हैं कि 6 से ज्यादा लोगों के आने पर ही वॉयल को खोला जाए। उसके बाद भी जिन सेंटर्स पर वैक्सीन बच रही है, उसके उपयोग के बारे में कलेक्टर साहब प्लान कर रहे हैं, जिसके पालन में बची हुई वैक्सीन का उपयोग किया जा सकेगा।


डॉ. केसी परमार, टीकाकरण अधिकारी


काेविड से बचाव के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है। जिसका उपयोग ज्यादा से ज्यादा लोगों पर होता तो कोरोना से सुरक्षा बढ़ेगी। वैक्सीनेशन से तीसरी लहर से भी बचा सकता है।


डॉ. एचपी सोनानिया, नोडल अधिकारी


18 से 45 साल और इससे अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लगने पर ही उज्जैन में काेविड से पूरी तरह से सुरक्षित हो सकते हैं। हर व्यक्ति आवश्यक रूप से टीका लगवाए।


डॉ. सुधाकर वैद्य, ईएनटी स्पेशलिस्ट, मेडिकल कॉलेज


बची हुई वैक्सीन का उपयोग हो सके, इससे बेहतर तो कुछ हो ही नहीं सकता है। इससे वैक्सीन का उपयोग तो होगा ही लोग भी वैक्सीन लगवाकर सुरक्षित हो सकेंगे।


डॉ. मोहन याआगे क्या: प्लान बना रहे


रजिस्ट्रेशन के बावजूद टीकाकरण नहीं करवाने की जानकारी जिला टीकाकरण विभाग ने जिला प्रशासन को दी है। जिस पर प्लान बनाया जा रहा है कि बची हुई वैक्सीन का कैसे उपयोग हो सकता है।

अभी यह है स्थिति

1 एक सेंटर पर 100 लोगों का रजिस्ट्रेशन होता है, जिनमें से 8 से 10 लोग वैक्सीनेशन के लिए नहीं पहुंचते हैं। यानी 12 सेंटर्स पर 96 लोग वैक्सीनेशन नहीं करवा रहे हैं।
2 मोहन नगर, जीवाजीगंज, कैंसर यूनिट व बीएससी नर्सिंग कॉलेज आदि सेंटर पर 3 से 5 लोगों की वैक्सीन बच रही है। क्योंकि वॉयल खोलने के बाद उसका उपयोग नहीं हो सकता, ऐसे में 12 सेंटर पर 36 से 60 वैक्सीन के डोज बर्बाद हो रहे हैं।

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