6 करोड़ की बसें खरीदीं, 3 करोड़ का फाइन लगाया

उज्जैन। शहरवासियों को रियायती किराये में सफर कराने के सपने दिखाने वाले नगर निगम के अधिकारियों ने जेएनएनयूआरएम योजना के तहत वर्ष 2010 में 40 सीएनजी सिटी बसें टाटा कंपनी से खरीदी थीं। इसका नगर निगम को 6 करोड़ रुपये भुगतान करना था लेकिन डिलेवरी में देरी और अन्य वजहों के कारण तत्कालिन अधिकारियों ने कंपनी से बसें तो ले लीं लेकिन उसका भुगतान आज तक नहीं किया, मामला आज भी कोर्ट में विचाराधीन है।
केन्द्र शासन की जेएनएनयूआरएम योजना के तहत वर्ष 2010 में नगर निगम द्वारा 40 सीएनजी बसें खरीदी गई थीं। इन सीएनजी बसों का नगर निगम को 6 करोड़ रुपये का भुगतान करना था। आर्डर के बाद कंपनी ने बसों की डिलेवरी में देरी की और बसें शहर में आने के बाद उसकी सीट स्ट्रक्चर में तत्कालीन अधिकारियों ने गलती निकाली और 40 बसों को वापस कंपनी को लौटा दिया।
कंपनी ने बसों में सुधार के बाद दुबारा डिलेवरी नगर निगम को दी, लेकिन अधिकारियों ने लापरवाही व लेटलतीफी के साथ टेण्डर शर्तों का उल्लंघन बताते हुए कंपनी को 6 करोड़ का भुगतान तो नहीं किया साथ ही 3 करोड़ रुपये की पेनल्टी कंपनी पर लगा दी। हालांकि 40 सीएनजी सिटी बसें पेनल्टी लगाने व डिलेवरी लेने के बाद शहर की सड़कों पर दौडऩे लगीं। उधर कंपनी ने अपनी बसों के पूरे रुपये का भुगतान लेने के लिये जिला कोर्ट में वाद दायर कर दिया और मामला अब भी कोर्ट में विचाराधीन है।
गलती किसी ओर की परिणाम भुगत रहा कोई ओर
वर्ष 2010 में सीएनजी सिटी बसों की खरीदी में हुई गड़बड़ी के पीछे अधिकारियों की सख्ती व कंपनी का ढिलमुल रवैया जिम्मेदार रहा लेकिन कोर्ट का फैसला आने तक गलती किसकी थी इसका निर्धारण नहीं हो सकता, लेकिन इन सबका परिणाम वर्तमान निगम अधिकारियों व शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है क्योंकि 40 में से 22 सीएनजी सिटी बसें आफ रोड़ होकर नगर निगम के वर्कशॉप में खटारा हालत में खड़ी हैं।
18 बसों को ठेकेदार चला रहा था लेकिन उसने भी अब बसें चलाने में असमर्थता जताते हुए सरेंडर कर दिया है। ठेकेदार अपनी अर्नेस्ट मनी वापस मांग रहा है जिसका मामला एमआईसी में विचार के लिये आयुक्त ने भेजा है, हालांकि इसका फैसला होना अभी शेष है। 40 सीएनजी सिटी बसों की खरीदी के समय टेण्डर की शर्ते सख्त बनाई गई थीं। तालमेल की कमी के कारण कंपनी पर तत्कालिन अधिकारियों ने तगड़ा फाईन भी लगा दिया। मामला अब कोर्ट में विचाराधीन है।
पवनकुमार, पूर्व प्रबंधक यूटीसीएल