- भस्म आरती: मकर संक्रांति पर बाबा महाकाल का किया गया दिव्य श्रृंगार, तिल्ली के लड्डू से सजा महाकाल का भोग !
- मुख्यमंत्री मोहन यादव का उज्जैन दौरा,कपिला गौ-शाला में गौ-माता मंदिर सेवा स्थल का किया भूमि-पूजन; केंद्रीय जलशक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल भी थे मौजूद
- उज्जैन और विदिशा में जिला अध्यक्षों की घोषणा, उज्जैन BJP शहर अध्यक्ष बने संजय अग्रवाल; अगले 24 घंटे में और नाम होंगे जारी!
- भस्म आरती: भगवान महाकाल का दिव्य श्रृंगार कर चढ़ाई गई भस्म, उज्जैन में हर ओर गूंजे जय श्री महाकाल के नारे!
- HMPV से घबराने की कोई जरूरत नहीं! Ujjain मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी का बड़ा बयान, बोले- अफवाहों से बचें...
79/84 श्री हनुमत्केश्वर महादेव
79/84 श्री हनुमत्केश्वर महादेव
भगवान राम ने धरती से रावण ओर अन्य राक्षसों का वध कर दिया ओर वे अयोध्या में राज्य करने लगे। तब कुछ ऋषि ओर मुनि उनके दर्शन के लिए उनके राज्य में उपस्थित हुए। मुनियों ने भगवान राम के सामने प्रस्तुत होकर उनकी आराधना की ओर उनका गुणगान किया। मुनियों ने कहा कि आपने रावण के कुल का नाश किया, इसमें आपका हुनमान ने सहयोग किया। वानरों ने उस युद्ध को साक्षात देखा। तब भगवान राम ने कहा कि मुनियों आपने हनुमान के पराक्रम का वर्णन किया परंतु लक्ष्मण ने भी युद्ध किया ओर मेघनाथ का वघ किया। इस पर मुनियों ने कहा कि हनुमान का पराक्रम सभी के पराक्रम से विशाल है। राम ने कारण पूछा तो मुनियों ने कहा कि हनुमान जब बाल रूप में थे तब एक बार में सूर्य को फल समझकर खाने के लिए निकल गए थे। इंद्र ने अपने वज्र से उन पर प्रहार किया, जिससे उनके होंठ पर चोट आई ओर वे एक पर्वत पर गिर पडे़। वायु देव उन्हे लेकर महाकाल वन आए ओर यहां शिवलिंग के सामने भगवान शंकर की आराधना करने लगे। शिवलिंग के स्पर्श करने से हनुमान जीवित हो उठे। इस दौरान यहां सभी देवता आए ओर हनुमान को वरदान दिया। ऋषियों के श्राप के कारण हनुमान अपना बल भूल गए थे ओर समुद्र लांघने के समय जामवंत ने हनुमान को उनका बल याद दिलाया था। हनुमान के शिवलिंग के स्पर्श ओर रावण वध के बाद पूजन के कारण शिवलिंग हनुमत्केश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुए। मान्यता है कि जो भी मनुष्य शिवलिंग का पूजन करता है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।