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उलटी नदी बहा रहे प्यास बुझाने को…
उज्जैन। पीएचई अधिकारियों की अनदेखी के कारण भीषण गर्मी के दौरान शहरवासियों को जलसंकट का सामना करना पड़ रहा है। गंभीर बांध पिछली बारिश में अपनी पूरी क्षमता 2250 एमसीएफटी से भरा। स्थिति यह बनी कि गेट खोलकर पानी छोडऩा पड़ा बावजूद इसके मई माह में गंभीर खाली होने की कगार पर पहुंच गया और अब शिप्रा नदी में मौजूद पानी को गऊघाट प्लांट तक पहुंचाकर जलप्रदाय के प्रयास किये जा रहे हैं।
पीएचई द्वारा गुरुवार से शहर में एक दिन छोड़कर जलप्रदाय का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय आचार संहिता लगने से पहले ही लिया जाना था लेकिन अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। अब जबकि गंभीर बांध में पानी लगभग खत्म होने की कगार पर पहुंच चुका है। ऐसे में आचार संहिता हटने के एक दिन पहले जागरूकता दिखाने की कोशिश में निर्णय लिया गया। अधिकारियों का कहना है कि यशवंत सागर से 300 एमसीएफटी पानी लेकर गंभीर बांध में एकत्रित किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर शिप्रा नदी में मौजूद नर्मदा के पानी को पेयजल के उपयोग हेतु लिया जाएगा। इसी के चलते गऊघाट पाले से नृसिंहघाट की तरफ नदी में एकत्रित पानी में मोटरें लगाकर गऊघाट फिल्टर प्लांट की ओर पानी ले जाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
यह हैं लापरवाही के कारण
गंभीर बांध पूरी क्षमता 2250 एमसीएफटी से भरने के बावजूद पानी चोरी रोकने पर ध्यान नहीं दिया गया। यही स्थिति शिप्रा नदी की भी रही।
पर्व स्नान के दौरान गंभीर बांध का पानी शिप्रा नदी में छोड़ा गया।
गंभीर बांध से पानी की पूर्ति होने के कारण शिप्रा नदी में मौजूद पानी को जलप्रदाय के उपयोग में नहीं लिया गया।
त्रिवेणी से लेकर गऊघाट पाले तक नदी में अब भी अच्छा पानी भरा है और पानी चोरी लगातार जारी है।