45 साल बाद फिर मिले दोस्त…

दीवारों को देखा और सुनाए, किस्सेकभी लगे ठहाके तो कभी नम हुईं आंखें। प्राणिनि अध्ययनशाला की एमएससी 1973-75 बैच के विद्यार्थियों के सम्मेलन में सभी पुरानी यादों में खो गए।

उज्जैन | न चिंता घर की थी और न थी कोई परवाह। जब जो जी में आया सो किया, कभी अध्यापक को तंग किया तो कभी स्कूल से मारा बंक। न जाने कितनी खट्टी-मीठी यादें एक बार फिर ताजा हो गईं। उन पुरानी दीवारों के बीच जब पूर्व छात्र सम्मेलन में ४५ साल बाद फिर एक साथ नजर आए क्लासमेट। मौका था विक्रम विश्वविद्यालय के प्राणिकी एवं जैव प्राद्योगिकी अध्ययनशाला के 1973-75 बैच के पासआउट विद्यार्थियों के सम्मेलन का।
कार्यक्रम की शुरूआत पूर्व छात्र अशोक साहनी और विभागाध्यक्ष प्रो. लता भट्टाचार्य ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलन कर की। इसके बाद सभी ने क्रम से अपनी अनुभव साझा किए। इसमें प्रो. एमएस परिहार चेयरमेन मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय आयोग, प्रो. प्रदीप श्रीवास्तव बरकतउल्ला विवि भोपाल, डॉ. आभा स्वरूप पूर्व डायरेक्टर मप्र विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद आदि शामिल हुए।

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