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महाकाल कोटितीर्थ कुंड में ओजोनेशन प्लांट के बाद भी जल आचमन योग्य नहीं
महाकालेश्वर कोटितीर्थ कुंड का जल अब इतना साफ है कि उससे त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचेगा लेकिन यह अभी इतना साफ नहीं हुआ कि उसका अाचमन किया जा सके।
कोटितीर्थ कुंड के जल को साफ रखने के लिए यूडीए ने इसमें अप्रैल में ओजोनेशन प्लांट लगाया है। ओजोनेशन प्लांट के साथ पानी में ऑक्सीजन भी छोड़ने का प्रबंध किया है। प्लांट लगाने के बाद महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पानी की जांच कराई है। 31 जुलाई को लिए पानी के सैंपल की जांच रिपोर्ट आ गई है। इससे पता चला कि प्लांट लगाने के पहले के पानी और प्लांट लगाने के चार महीने बाद के पानी में कितना अंतर आया है।
कोटितीर्थ कुंड
बैक्टीरिया खत्म नहीं हुए, इसलिए नुकसानदेह
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार चार महीने में पानी में पीएच कम हुआ है। पानी में घुलनशील ऑक्सीजन बढ़ी है। पानी में से ऑक्सीजन को हानि पहुंचाने वाले जीवाणु कम हुए हैं। हार्डनेस घटी है और पानी में बैक्टेरिया की मात्रा एकदम निचले लेवल पर आ गई है लेकिन खत्म नहीं हुए हैं। विक्रम विश्व विद्यालय पर्यावरण अध्ययनशाला के अध्यक्ष डॉ. डीएम कुमावत के अनुसार पीएच लेवल में होने से यह जल त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाएगा लेकिन बैक्टीरिया की मौजूदगी से यह अभी भी आचमन योग्य नहीं है। डिजॉल्व ऑक्सीजन बढ़ने से इसमें मछली और अन्य जल जीवों को खतरा नहीं है। बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड कम होना भी यह साबित करता है कि इसमें प्रदूषण कम हुआ है। इसलिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट से यह कहा जा सकता है कि कोटितीर्थ का जल अब पहले से ज्यादा साफ है।
31 जुलाई को पानी की स्वच्छता राष्ट्रीय मापदंड पर
पेरामीटर यूनिट रिजल्ट पहले था
पीएच लिमिट 6.5 से 8.5 पीएच यूनिट 7.82 7.92
टोटल हार्डनेस 200-600एमजी 316 394
डिजाल्व ऑक्सीजन 4 एमजी से कम नहीं हो 7.7 6
बीओडी 30 ईपीए 1.8 6
टोटल कॉलीफार्म एमपीएन 0 49 920
(सोर्स- एमपी पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड उज्जैन द्वारा जारी रिपोर्ट नंबर 342-19, महाकालेश्वर मंदिर कोटितीर्थ कुंड का जल नमूना)
आरओ से साफ कर जल चढ़ा रहे भगवान को…कोटितीर्थ का जल आरओ से साफ कर भगवान को अर्पित किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की समिति ने शिवलिंग को क्षरण से बचाने के लिए प्रदूषण रहित आरओ जल का उपयोग करने का सुझाव महकाल मंदिर प्रबंध समिति को दिया था।