छात्रों को चार घंटे में भी नहीं खोज सकी रेस्क्यू टीम, क्योंकि होमगार्ड के पास तैराक हैं, गोताखोर नहीं

त्रिवेणी शनि मंदिर क्षेत्र के मोतीबाग पाल से फिसलने के बाद शिप्रा में गिरे दो छात्रों को होमगार्ड की रेस्क्यू टीम चार घंटे बाद भी नहीं खोज सकी, क्योंकि टीम के पास एक भी गोताखोर नहीं है। सिर्फ दो तैराक सीमित संसाधनों के साथ कोशिश करते रहे।

हादसा दोपहर 2 बजे हुआ। सूचना मिलने के बाद 2.30 बजे होमगार्ड की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंच गई। टीम लाइफ गार्ड सपोर्ट के साथ नदी में उतरी। तैराक गोताखोरी के प्रशिक्षण प्राप्त नहीं होने से नदी के तल तक नहीं पहुंच पा रहे थे। पानी भी गंदा होने के कारण अंदर जाकर आंख खोलकर देख नहीं पा रहे थे। नदी में पत्थर, कचरा, कांटे और लोहे के इंगल होने के कारण परेशान होते रहे। चार घंटे तक कोई सफलता नहीं मिली। इधर प्रशासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी किनारों पर खड़े होकर निर्देश देते रहे। घटना स्थल पर मोतीबाग के लोगों की भीड़ जुट गई थी उनमें से कुछ युवक नदी की गहराई जानते थे, वे गोताखाेरों और पुलिस अधिकारियों का मार्गदर्शन करते रहे। 6 बजे स्थानीय तैराकों की टीम नदी में उतरी और 20 मिनट में उसी जगह से चिराग का शव बाहर निकाला, जहां चार घंटे से रेस्क्यू टीम खोज रही थी।

तैराकाें काे गोताखोरी का प्रशिक्षण दिया जाएगा


भास्कर अपील-एेसे खतरनाक स्थानों पर सेल्फी के मोह से बचें क्योंकि जरा-सी चूक जानलेवा हो सकती है

शिप्रा नदी पर त्रिवेणी के पास मोतीबाग पाल पर यहां से फिसलकर डूबे दोनों छात्र।

शव निकालते ही

चिराग के पिता

राजेश बिलख पड़े।

जयेश के पिता मुकेश को अब भी उम्मीद बाकी।

होमगार्ड…सारी कोशिश नाकाम

होमगार्ड के जवान और तैराक बोट से नदी में चार घंटे दोनों छात्रों को खोजते रहे।

देर रात तक मां और बहनों को नहीं दी जानकारी

चिराग की चार बहनें और मां को देर रात तक घटना की जानकारी नहीं दी। घर पर पड़ोस के लोगों का आना-जाना लगा है, जिससे परिवार की महिलाएं किसी अनहोनी को लेकर अाशंकित हैं। चिराग उसके मामा का भी लाड़ला था, वे अपनी बहन को जवाब नहीं दे पा रहे थे।

स्थानीय तैराक…नदी में रस्सी बांधी, कूदे और 20 मिनट में शव निकाला

स्थानीय तैराकों ने नदी में जाने से पहले रस्सी बांधी फिर गहराई में उतर गए।

मां और बहन जयेश को बार-बार फोन लगाती रहीं

जयेश की बहन और मां बार-बार उसे फोन लगाने का प्रयास कर रही थी लेकिन उसका फोन भी उसके साथ नदी में डूब गया है। इसके कारण आउट ऑफ कवरेज आ रहा है। उनके घर पर जन्माष्टमी की तैयारी चल रही थी लेकिन रात तक जयेश नहीं आया।

20 मिनट में तैराक केवट नदी की गहराई से चिराग को खोजकर किनारे लेकर आए।

Leave a Comment