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खेल दिवस पर क्रॉस कंट्री दौड़ बनी मजाक
उज्जैन:हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती को देश भर में खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी उपलक्ष्य में जिला खेल एवं युवक कल्याण विभाग तथा अन्य खेल संस्थाओं ने मिलकर कोठी पर क्रॉस कंट्री दौड़ का आयोजन किया। इसमें खेल संस्थाओं के गिनती के खिलाडिय़ों के अलावा सेना और पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहे युवकों की संख्या सबसे अधिक थी। खेल विभाग के अधिकारियों का दावा है कि दौड़ में 500 युवक-युवतियों ने भाग लिया है।
इतने बड़े आयोजन के दौरान विभाग द्वारा नियमों को ताक पर रखकर दौड़ लगवाई गई और हालत यह हो गई कि अतिथियों द्वारा हरी झंडी दिखाने के पहले ही करीब 60-70 युवक दौड़ गये।खेल संगठनों से जुड़ी लड़कियां भी दौड़ में शामिल होने कोठी आई थीं, हालांकि इनकी संख्या बहुत कम थी। उन्हें आयोजकों ने सैकड़ों लड़कों की भीड़ के साथ ही दौड़ लगवाई। दौड़ते समय गिनती की लड़कियां भीड़ में दब गईं और ठीक से दौड़ भी नहीं लगा पाईं।
किसी को चक्कर आ रहे थे तो कोई मांग रहा था पानी
5 किलोमीटर तक दौड़ लगाकर कोठी लौटने पर बच्चों की हालत खराब हो चुकी थी। बच्चे सड़क पर ही लेट गये, किसी को चक्कर आ रहे थे तो कोई पसीने से तरबतर होकर पानी मांग रहा था। पहले दौड़ चुके विशाल कोशल महू और सागर निवासी इंदौर पहले व दूसरे स्थान पर आये लेकिन आयोजकों ने उन्हें बाहर कर दिया। विवाद की स्थिति बनने पर प्रशिक्षकों द्वारा धमकी दी गई कि हंगामा किया तो देश की किसी भी दौड़ में शामिल नहीं हो पाओगे।
कोठी पर ऐसा था नजारा
कोठी की सीढिय़ों पर खेल एवं युवक कल्याण विभाग द्वारा माइक लगाकर मंच जैसा रूप दिया गया। यहां पर जिला पंचायत सीईओ निलेश पारिख, अतिथि और खेल संगठन के कोच आदि खड़े थे। सड़क पर सैकड़ों लड़के-लड़कियां झुंड बनाकर खड़े हुए थे।
अतिथियों द्वारा इन्हें खेल व अनुशासन के साथ क्रॉस कंट्री दौड़ की जानकारी दी और कहा कि अतिथि द्वारा हरी झंडी दिखाने के बाद बच्चों को दौड़ लगाना है, लेकिन भाषणों के दौरान ही करीब 60-70 युवकों ने कोठी रोड़ से होते हुए तरणताल चौराहे से मुड़कर देवासरोड़ पर दौड़ लगा दी। इनके आगे लाल झंडा लिये बाइक पर सवार युवक भी चल रहे थे। पुलिसकर्मी भी युवकों के आसपास थे, लेकिन दौड़ आयोजकों ने माइक से एनाउंस कर दिया कि हरी झंडी दिखाने से पहले जिन युवकों ने दौड़ लगाई है उन्हें बाहर कर दिया जायेगा।
यह कैसा आयोजन
क्रॉस कंट्री दौड़ में हिस्सेदारी के लिये खिलाडिय़ों को लाये प्रशिक्षकों ने जब अव्यवस्थाएं देखी तो वह भी चौंक गये। उनका कहना था कि यह कैसा आयोजन है, नाम ही करना था तो बुलाते ही नहीं। सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत विजयवर्गीय जो पूरे समय यहां मौजूद रहे उन्होंने कहा कि दौड़ वाले मार्ग पर आवारा मवेशी घूम रहे थे कुछ भी घटना हो सकती थी। दौड़ में पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले बच्चों को विभाग की तरफ से घी के पैकेट वितरित किये गये, जिसे देखकर बच्चों के चेहरे भी उतर गये। हालांकि सभी बच्चों को केले भी बांटे गए।
मानक रखे ताक पर
क्रास कंट्री दौड़ के मानक पूर्व से तय हैं। खेल एवं युवक कल्याण विभाग जो जिले के समस्त खेल संगठनों की मानीटरिंग भी करता है उसी के अधिकारियों ने मानकों तो ताक पर रख दिया यही कारण रहा कि ३0 फीट चौड़ी सड़क पर 500 युवक-युवतियों को दौड़ लगवाई। दौड़ के दौरान सड़क पर दो पहिया-चार पहिया वाहनों का आवागमन जारी था। उखड़ी सड़क पर बिखरी गिट्टी से बच्चों के पैरों में चोंट आई। 5 किलोमीटर लंबी दौड़ के दौरान बच्चों को पीने के पानी अथवा प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था नहीं थी।
खेल अधिकारी रूबिका देवान से सीधी बात
प्र. ३0 फीट चौड़ी सड़क पर 500 बच्चों को क्यों दौड़ाया।
बारिश की वजह से खेल मैदानों में कीचड़ है, शहर में ओर कहीं भी जगह नहीं थी।
प्र. लड़कियों को लड़कों के साथ क्यों दौड़ाया।
लड़कियों को पहले से बता दिया था कि उनकी काउंटिंग अलग से होगी। अलग दौड़ाने की व्यवस्था नहीं की थी।
प्र. पहले दौड़े प्रतिभागियों को रोका क्यों नहीं?
माइक से एनाउंस किया था लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी और दौड़ते रहे।
प्र. खेल दिवस पर खिलाडिय़ों की नाम मात्र संख्या रही।
विभाग द्वारा सभी खेल संगठनों को सूचना दी थी। करीब एक हजार बच्चों की स्वीकृति मिली थी, लेकिन दौड़ में 500 के करीब बच्चे शामिल हुए।