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पहले दिन दसमत का मंचन, राजकुमारी दसमत ने तोड़ा पिता राजा का अहंकार
कालिदास अकादमी के संकुल हॉल में बुधवार से तीन दिनी नाट्य उत्सव की शुरुआत हो गई। पहले दिन रायपुर (छत्तीसगढ़) के कलाकारों ने नाटक दसमत का मंचन किया। छत्तीसगढ़ी लोक गाथा पर आधारित इस नाटक में स्पर्श लोक कला मंच रायपुर के कलाकारों ने पहली प्रस्तुति दी। राजा भोज को यह अहंकार होता है कि उनके राज्य की प्रजा मानती है कि सभी राजा के ही भाग्य का जीते आैर खाते हैं लेकिन राजा की छोटी बेटी दसमत कहती है कि मैं अपने भाग्य का खाती हूं। तब राजा क्रोधित होकर यह आदेश देते हैं कि दसमत अगर अपने भाग्य का खा रही है तो इसका विवाह राज्य के सबसे गरीब व्यक्ति से कराया जाए। दसमत की शादी तालाब खोदने वाले एक मजदूर से हो जाती है। समय बीतने पर दसमत को पता चलता है कि उसके पति सुदन को तालाब खोदते हुए कभी जोगनी पथरा मिलता है, जिसके बदले साहूकार 20 किलो चावल आैर एक किलो नमक देता है। जोगनी पथरा वस्तुत: हीरा है, जिसे पहचानकर दसमत साहूकार से उसका उचित दाम दिलाती है आैर इससे दसमत का परिवार धनी हो जाता है। समय बदलता है आैर राजा भोज गरीब हो जाता है। गुरुवार शाम 6.30 बजे से नाटक तथास्तु का मंचन शुरू होगा।