जिनके पास भोजन पकाने की व्यवस्था नहीं सिर्फ उन्हीं लोगों को भोजन पैकेट का वितरण

उज्जैन- कोरोना संक्रमण की वजह से शहर में लॉकडाउन व कफ्र्यू लगाया गया है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे सब बंद हैं, आमजनों का सड़कों पर आवागमन प्रतिबंधित है। ऐसी स्थिति में गरीब व मजदूर वर्ग जो प्रतिदिन रुपये कमाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे उनके सामने आर्थिक तंगी की वजह से भूखे मरने की स्थिति निर्मित हो गई, जबकि भिक्षावृत्ति करने वाले सड़क किनारे फुटपाथों पर भोजन की जुगाड़ में दिन रात गुजार रहे हैं।

शासन के आव्हान पर स्वयंसेवी संस्थाओं ने जरूरतमंदों को भोजन पैकेट वितरण की व्यवस्था शुरू की, लेकिन इसमें अनेक जगह गड़बड़ी की शिकायत प्रशासन को मिली। जबकि प्रदेश शासन द्वारा गरीब व मजदूरों को आटा, दाल, चावल बिना राशन कार्ड की वितरण करने के निर्देश जारी किये। अब सिर्फ ऐसे लोग जिनके पास भोजन पकाने की व्यवस्था नहीं है उन्हें ही भोजन के पैकेट वितरित किये जाएंगे और गरीब व मजदूरों को राशन उपलब्ध कराया जा रहा है।

 

अब तक यह हो रहा था

शहर में लॉकडाउन व कफ्र्यू लागू होने के बाद कलेक्टर के निर्देश पर महाकाल मंदिर अन्नक्षेत्र में प्रतिदिन 4 हजार भोजन के पैकेट तैयार कर जरूरतमंदों को वितरित करना शुरू किया गया। इसके अलावा अनेक सामाजिक व स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी भोजन पैकेट बांटना शुरू किये और प्रशासन स्तर पर स्वसहायता समूह के माध्यम से भोजन के पैकेट तैयार कर बंटवाना शुरू किये गये। इन भोजन पैकेटों की संख्या करीब 30 हजार तक पहुंच गई।

इन भोजन पैकेटों को शहर में झोन और वार्ड स्तर में विभाजित कर पार्षदों के माध्यम से बंटवाना प्रशासन ने शुरू किया तो कुछ क्षेत्रों में पार्षदों पर पक्षपात का आरोप लगाकर विवाद की स्थिति भी निर्मित हो गई। कुल मिलाकर इतनी बड़ी संख्या में भोजन पैकेट कहां बंट रहे थे इसका हिसाब किसी के पास नहीं था। जबकि जरूरतमंद भोजन के लिये यहां वहां भटकते रहे।

 

यह है प्रशासन की व्यवस्था

उचित मूल्य की दुकानों से बीपीएल कार्ड धारकों को पूर्व से ही 3 माह का खाद्यान्न गेहूं, चावल, केरोसीन, नमक आदि उपलब्ध करा दिया गया था, लेकिन अनेक लोग जो गरीब, मजदूर श्रेणी में आते हैं और दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे,

लेकिन उनके पास राशन कार्ड नहीं है उन्हें भी प्रशासन द्वारा आटा, दाल, चावल आदि आवश्यक खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाना है। इस व्यवस्था के लिये वार्ड पार्षदों को अधिकृत किया गया है। उनके द्वारा ही अपने वार्ड के जरूरतमंदों की लिस्ट तैयार की जायेगी और उसी के मान से खाद्यान्न आवंटित होगा।

 

यहां हो सकती है गड़बड़ी

प्रशासन द्वारा वार्ड पार्षदों को अपने वार्ड के गरीब, जरूरतमंदों की लिस्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कई वार्ड ऐसे हैं जहां जरूरतमंदों की संख्या 100 से भी कम है, यहां पार्षदों द्वारा ऐसे लोगों के नाम भी लिस्ट में जोड़े जा रहे हैं जिनको उक्त मुफ्त राशन की आवश्यकता नहीं है

तो कुछ पार्षदों ने पार्टी कार्यकर्ताओं को अपनी पार्टी हित में काम करने वालों की लिस्ट तैयार करवाने में लगा दिया है। यही लिस्ट प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचेगी। यहां प्रशासन द्वारा मुफ्त राशन आवंटन से पहले वार्डों के मान से लिस्ट का सत्यापन कराये तो राशन वितरण व्यवस्था में पारदर्शिता आ सकती है।

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