लॉकडाउन : 21 दिनों बाद कहां पहुंच गया उज्जैन शहर

दहशत, जरूरत, पुलिस के डंडे, अस्थायी जेल और अब 19 दिन का लॉकडाउन-2

आज से कोरोना लॉकडाउन 2.0 शुरू हो चुका है। इसके पहले 21 दिनों तक शहरवासियों ने लॉकडाउन और कफ्र्यू का पूरी ईमानदारी से पालन किया बावजूद इसके 21 दिनों पहले शहर में कोरोना पॉजिटिव की स्थिति शून्य थी और लॉकडाउन के बाद 25 मार्च को जिले के जांसापुरा निवासी पहली महिला कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद आज की स्थिति में कोरोना पॉजिटिव की संख्या कुल 27 हो चुकी है। प्रधानमंत्री के आव्हान पर 21 दिनों से दहशत, जरूरत, परेशानी, पुलिस के डंडे, अस्थायी जेल देखने वाले लोगों को उम्मीद थी कि अब अपने घरों से बाहर निकल पाएंगे, लेकिन कोरोना लॉकडाउन 2.0 ने अगले 19 दिनों के लिये घरों के बाहर फिर लक्ष्मण रेखा खींच दी है।

विश्व के अधिकांश देश कोरोना संकमण की वजह से परेशान हैं। भारत में 22 मार्च को प्रधानमंत्री के आव्हान पर जनता कफ्र्यू और उसके दूसरे दिन 23 मार्च को पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित कर दिया गया। इतिहास में पहली बार इतने दिनों तक यात्री ट्रेनों, पूरे देश के सभी परिवहन साधनों को बंद कर दिया गया। जो व्यक्ति जहां था, वहीं थम गया। लोगों को घरों में रहने की अपील की गई।

इस दिन उज्जैन शहर में एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं था, बावजूद इसके जिला प्रशासन ने लॉकडाउन के संबंध में आदेश जारी कर लोगों को घरों में रहने और उन तक सभी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के इंतजाम सुनिश्चित किये। 25 मार्च को जांसापुरा में रहने वाली राबिया बी उज्जैन जिले की पहली कोरोना पॉजिटिव महिला सामने आई।

स्वास्थ्य विभाग ने उसके परिवार को आइसोलेशन में लिया और जांच कराई तो पति, पुत्र व अन्य परिजन भी कोरोना संक्रमित निकले। जांसापुरा क्षेत्र को कोरेंटाइन घोषित कर दिया गया। यहां से कोरोना मरीज मिलने का जो सिलसिला शुरू हुआ तो लॉकडाउन अवधि के 21 दिन पूरे होने तक शहर में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 27 तक पहुंच गई जिनमें से 6 लोगों की मौत भी हो चुकी है।

 

21 दिनों में कोरोना से बचाव के यह हुए उपाय- 

लॉकडाउन के शुरूआती दिनों में किराना, फल, सब्जी, दूध डेयरी, दवा दुकानों के साथ प्रायवेट अस्पताल को छूट दी गई थी, लेकिन एक के बाद एक मरीजों की संख्या बढऩे, लोगों द्वारा बेवजह घर से बाहर निकलने, दो पहिया वाहनों पर सड़कों पर बेवजह घूमने के कारण जिला प्रशासन ने सख्ती शुरू की जिसके अंतर्गत सभी प्रायवेट अस्पतालों को बंद कर दिया गया,

शहर में कफ्र्यू लगाने के साथ दूध डेयरी बंद कर घर-घर दूध बांटने के निर्देश दिये गये। बेवजह वाहनों से सड़कों पर घूमने वालों की पिटाई के साथ माधव कॉलेज में अस्थायी जेल बनाकर लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों को बंद किया गया। सख्ती और नियमों का पालन कराने के बावजूद शहर में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ती चली गई।

 

किराने की दुकानों से ऑनलाइन सामग्री की परमिशन दी –

21 दिनों तक लॉकडाउन का पालन करते हुए लोगों ने घरों में रहकर काम चलाया, अब नौकरीपेशा और पेंशनभोगियों के अलावा ऐसे व्यापारी जो आवश्यक सामग्री विक्रय नहीं करते उनके पास घरों में बचत के रुपये खत्म हो चुके हैं। रुपयों के लिये उन्हें बैंक, राशन के लिये बाजार में जाना पड़ रहा है। कलेक्टर ने कॉलोनी, मोहल्लों में संचालित होने वाली छोटी-बड़ी किराना दुकानों को खोलकर लोगों को ऑनलाइन सामग्री देने की परमिशन दी है।

वहीं बैंक 10.30 बजे से 4 बजे तक खोलकर लेनदेन के निर्देश जारी किये हैं। आटा चक्की निर्धारित समय में खोलने, घर-घर सब्जी विक्रय, दूध विक्रय की परमिशन भी पूर्व की तरह जारी है। हालांकि पुलिस द्वारा शहर के मुख्य चौराहों पर अब भी चैकिंग और बेवजह घूमने वालों को रोककर पूछताछ की जा रही है, लेकिन सख्ती नहीं बरती गई।

 

6 बजे से बैंक के बाहर आकर बैठी महिलाएं- 

लोगों को रुपयों की आवश्यकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बैंकों से रुपये निकालने के लिये महिलाएं सुबह 6 बजे से बैंक के बाहर आकर 10.30 बजे तक बैंक खुलने का इंतजार कर रही हैं। आगर रोड स्थित बैंक ऑफ इंडिया के बाहर बैठी महिलाओं की कतार सुबह 10.30 बजे तक कोयला फाटक तक पहुंच चुकी थी।

पुलिस को व्यवस्था बनाने के लिये आना पड़ा और कतार में लगे लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के साथ दूर दूर खड़ा कराया। बैंक के पास बने कियोस्क सेंटर के संचालक ने रुपये निकालने आने वालों के हाथ सेनेटाइराज कराने, धोने की व्यवस्था भी की गई।

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