- नंदी हाल से गर्भगृह तक गूंजे मंत्र—महाकाल के अभिषेक, भस्मारती और श्रृंगार के पावन क्षणों को देखने उमड़े श्रद्धालु
- महाकाल की भस्म आरती में दिखी जुबिन नौटियाल की गहन भक्ति: तड़के 4 बजे किए दर्शन, इंडिया टूर से पहले लिया आशीर्वाद
- उज्जैन SP का तड़के औचक एक्शन: नीलगंगा थाने में हड़कंप, ड्यूटी से गायब मिले 14 पुलिसकर्मी—एक दिन का वेतन काटने के आदेश
- सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का संदेश, उज्जैन में निकला भव्य एकता मार्च
- सोयाबीन बेचकर पैसा जमा कराने आए थे… बैंक के अंदर ही हो गई लाखों की चोरी; दो महिलाओं ने शॉल की आड़ में की चोरी… मिनट भर में 1 लाख गायब!
कोरोनाकाल में मंगल ने बदली है चाल, इन राशिवालों पर पड़ेगा असर
14 साल पहले 2 अक्टूबर 2005 को मंगल मेष राशि में वक्री हुआ था और अब फिर से वही संयोग बन गया है। 10 सितंबर को मंगल अपनी ही राशि मेष में वक्री हो चुका है। इसका असर आने वाले दिनों में चार राशियों पर पड़ेगा। दुनिया में चल रही महामारी का असर फिलहाल कम नहीं हो रहा है। खासकर मंगल की राशि वालों पर इसका प्रभाव अधिक रहेगा। इसी प्रकार 5 अक्टूबर को मंगल मेष से मीन में वक्री होगा।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला ने बताया कि करीब 14 साल के बाद मंगल वक्री हुआ है, वह भी अपनी ही राशि मेष में। इससे मेष, कर्क, तुला और वृश्चिक राशि वालों पर अधिक असर होगा। 4 अक्टूबर तक मंगल मेष राशि में रहेगा और 5 अक्टूबर को मंगल अपनी राशि मेष से मीन में वक्री होगा। महामारी पर इसका असर नहीं पड़ेगा।
24 सितंबर तक वक्री
पं. डिब्बावाला के मुताबिक मंगल 5 अक्टूबर को मेष के बाद मीन में वक्री होगा, जो 24 दिसंबर तक वक्री रहेगा। 24 दिसंबर के बाद मंगल पुनः मेष राशि में जाएगा। मेष राशि में इनका परिभ्रमण 21 फरवरी तक रहेगा। इस बीच इनके बीच दृष्टि संबंध भी बनेंगे।
12 सितंबर को गुरु हुए मार्गी
मंगल की ही तरह गुरु भी 12 सितंबर को मार्गी हो चुके हैं, इनका दृष्टि संबंध नवम-पंचम मंगल से बनेगा। इस दृष्टि से मंगल के वक्रत्व काल के फल में कमी आएगी। कहीं कहीं मित्र मंडल या शासन अध्यक्ष का आध्यात्मिक गुरुओं से नियत समायोजन बन सकेगा।
वक्री होने पर यह होगा असर
मेष राशि में मंगल के वक्री होना शुभ नहीं माना जा रहा है। इससे ग्रह की चाल टेढ़ी होने से देश में दुर्घटनाएं आगजनी, आतंक और तनाव जैसी स्थिति बन सकती है। यानी कोरोना माहामारी पर इसका असर नहीं पड़ने वाला है। मंगल को शांत करने के लिए मंगल देव की आराधना पूजा आदि करना चाहिए।
उज्जैन में क्षिप्रा किनारे हैं मंगल देव के दो मंदिर
उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित मंगल देव के दो प्राचीन मंदिर मौजूद हैं। इनमें एक मंगलनाथ और दूसरा अंगारेश्वर। दोनों ही जगहों पर महामंगल की पूजा की जाती है। भातपूजा का भी यहां विषेश महत्व है। हर मंगलवार को यहां देश-विदेश के श्रद्धालु आकर मंगल दोष निवारण की पूजा कराते हैं। देश के शीर्ष नेता अभिनेता तक यहां पूजा के लिए आ चुके हैं।