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जांच के आदेश:चरक के मरीजों का सौदा करने वाली ‘रेफर गैंग’ की जांच सीएमएचओ करेंगे
जिला अस्पताल प्रशासन की जांच के बीच भी गर्भवती महिलाओं को चरक अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल भेजा जा रहा है। अस्पताल प्रशासन की लचर व्यवस्था और जांच में ढिलाई का फायदा उठाते हुए रैकेट अब भी सक्रिय है। इसमें दो आशा कार्यकर्ता, वार्डबॉय व सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। ये योजनाबद्ध तरीके से महिला मरीजों को ऑटो तो कभी मैजिक वाहन से प्राइवेट अस्पताल भेज रहे हैं।
अब तो प्राइवेट अस्पतालों में कमीशन की राशि को लेकर प्रतिस्पर्धा भी होने लगी है। यानी एक प्राइवेट अस्पताल दूसरे अस्पताल से ज्यादा कमीशन देकर मरीजों को अपने अस्पताल में लाने में लगे हैं। भास्कर ने गरीब गर्भवती महिलाओं को प्राइवेट अस्पताल में रेफर करने का मामला उठाया तो जनप्रतिनिधि जागे लेकिन जिला अस्पताल प्रशासन कार्रवाई नहीं कर पाया।
जांच के नाम पर ढिलाई बरती जा रही है और खुलेआम रेफर करने का खेल जारी है। महिलाओं के रैफर के मामले में कलेक्टर आशीष सिंह ने सोमवार को आयोजित टीएल बैठक में नाराजगी जताई है। उन्होंने सीएमएचओ डॉ. महावीर खंडेलवाल को जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
इधर मनमानी : चरक अस्पताल के वाहन स्टैंड पर पार्किंग शुल्क 25 से बढ़ाकर 50 रुपए किया
चरक अस्पताल में संचालित वाहन स्टैंड पर मनमाना पार्किंग शुल्क वसूला जा रहा है। यहां पर मरीज के अटेंडर से वाहन पार्किंग की दोगुना राशि ली जा रही है। अस्पताल प्रशासन ने स्टैंड का ठेका 4 फरवरी-2020 को मुकेश इंटरप्राइजेस को दिया था।
ठेके में बाइक के पहली बार में 10 रुपए और उसके बाद पांच-पांच रुपए लिए जाना है तथा 24 घंटे वाहन पार्क के 25 रुपए। जबकि ठेका संचालक शीतल राठौर पहली बार के 10 रुपए लेने के बाद दूसरी बार भी इतनी ही राशि ले रहा है तथा 24 घंटे के 50 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। इसमें दिन के 30 और रात के 20 रुपए वसूले जा रहे हैं।
हॉस्पिटल के वाहन स्टैंड पर 250 से 300 बाइक व 25 से 30 चार पहिया वाहन पार्क होते हैं। यहां पर चार पहिया वाहन के एक बार के 20 रुपए लिए जा रहे हैं लेकिन अस्पताल आने वाले वाहनों के अलावा बाहर की गाड़ियों को अवैध रूप से अस्पताल के बेसमेंट में पार्क किया जा रहा है।
यहां ऐसी 70 से 90 गाड़ियां पार्क की जा रही है और प्रति गाड़ी 1500 रुपए लिए जा रहे हैं। प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. पीएन वर्मा का कहना है कि पार्किंग के ठेके का संचालन टेंडर की शर्तों के तहत नहीं होना पाया जाता है तो कार्रवाई होगी। ज्यादा पेसे लेने की लोग सिविल सर्जन कार्यालय में शिकायत कर सकते हैं।