उज्जैन में ऑक्सीजन संकट हुआ जानलेवा:माधवनगर में आधी रात को ऑक्सीजन खत्म

माधवनगर अस्पताल कोविड सेंटर में बुधवार आधी रात को ऑक्सीजन खत्म होने की कगार पर पहुंच गई। केवल आधे घंटे चलने जितनी गैस बची थी। सूचना लगते ही कलेक्टर आशीष सिंह मौके पर पहुंचे। फिर यहां से चरक अस्पताल गए। वहां से सिलेंडर बुलवा कर तात्कालिक व्यवस्था कराई। उन्होंने सीएमएचओ डॉ महावीर खंडेलवाल को निर्देश दिए कि अब अस्पताल में दो घंटे का बैकअप अनिवार्य रूप से रखा जाए। इसका उपयोग कलेक्टर के आदेश पर ही होगा।

माधवनगर अस्पताल में 123 मरीज भर्ती हैं। इनमें से 60 फीसदी मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही है। बुधवार को आपूर्ति नहीं होने से रात करीब 12 बजे आक्सीजन की कमी होने लगी। केवल आधे घंटे तक मरीजों को दी जा सकने जितनी ऑक्सीजन बची थी। इसकी जानकारी मिलने पर कलेक्टर सिंह, अस्पताल प्रभारी एसएस रावत और सीएमएचओ डॉ खंडेलवाल अस्पताल पहुंचे। डॉ एचपी सोनानिया ने स्थिति की जानकारी दी। इसके बाद ताबड़तोड़ चरक अस्पताल और निजी अस्पतालों के स्टॉक से सिलेंडर मंगा कर लगाए गए।

सिंह ने बताया कि भर्ती मरीजों को चिकित्सक की सलाह पर ऑक्सीजन दी जाती है। अस्पताल में रोज लिक्विड गैस वाले 6 और गैस वाले 200 जंबो सिलेंडर की जरूरत होती है। रावत ने बताया कि ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई अहमदाबाद से होती है। वहां से इंदौर होकर उज्जैन आते हैं। कलेक्टर ने सीएमएचओ डॉ खंडेलवाल को निर्देश दिए कि अस्पताल में दो घंटे का ऑक्सीजन बैकअप रिजर्व रखा जाए। इसका उपयोग बिना कलेक्टर की अनुमति के नहीं किया जाएगा। सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की स्थिति पर निगरानी रखी जाना चाहिए।

और दिन में ऑक्सीजन की कमी से 1 की मौत, 2 खतरे में थे

संचालक का तर्क- ऑक्सीजन संकट जरूर था, लेकिन मौत कमी से नहीं हुई

उदयन मार्ग स्थित सहर्ष हॉस्पिटल के संचालक ने बुधवार को कलेक्टर काे मैसेज किया कि ऑक्सीजन नहीं है। एक रोगी की मौत हो चुकी है और दो की और होने वाली है। अत: यहां एक कोरोना रोगी सहित दो की मौत हुई भी। परिजनों का आरोप है कि ऑक्सीजन का अभाव होने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन में उन्हें समय रहते अवगत नहीं करवाया। इधर घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन का तर्क है कि रोगी गंभीर अवस्था में थे, ऑक्सीजन की कमी से उनकी मौत नहीं हुई। सहर्ष अस्पताल में जिस 68 वर्षीय मंदसौर निवासी की मौत हुई है वह कोरोना पॉजिटिव था। उनके पुत्र अतुल जैन ने बताया कि पिताजी को 28 मार्च को यहां भर्ती किया था। दोपहर 12 बजे फोन आया कि उनका देहांत हो चुका है।

ऑक्सीजन की कमी से 1 की मौत, 2 खतरे में थे

बाद में डॉक्टरों से ही पता चला कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से ऐसा हुआ। यदि ऐसा था तो हमें पहले अवगत क्यों नहीं करवाया गया। इधर इस अस्पताल में एक अन्य ग्रामीण की भी मौत का कारण ऑक्सीजन का अभाव ही बताया जा रहा है। हालांकि यह कोरोना पॉजिटिव नहीं था। इसकी जांच नहीं हो पाई थी।

कोरोना काल में सहर्ष ही नहीं बल्कि आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज व शहर के अन्य अधिकांश निजी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन का सकंट बढ़ने लगा है। इसकी जानकारी अस्पताल प्रबंधकों ने जिला प्रशासन को भी दे दी है। यह कि अनुबंधित वेंडर समय रहते आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में प्रशासनिक स्तर से वेंडरों को आपूर्ति करने को कहा जा रहा है। साथ ही जिला प्रशासन गुजरात से भी ऑक्सीजन सप्लाई करवाने के प्रयास में हैं।

पिता की मौत अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने की वजह से हुई है। उनकी हालत में सुधार हो रहा था लेकिन अचानक से यह घटना हो गई। – अतुल जैन, मृतक के पुत्र

ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर डीएम को मैसेज किया था। लेकिन मौत ऑक्सीजन खत्म होने से नहीं हुई है। इन्हें तो ऑक्सीजन दी जा रही थी। यह दोनों पहले से ही गंभीर हालत में थे।

– डॉ. एच. मंगल, सहर्ष हॉस्पिटल

अस्पताल प्रबंधकों ने ऑक्सीजन की किल्लत से अवगत करवाया है। ऑक्सीजन की आपूर्ति के प्रयास किए जा रहे हैं। कहीं कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।

– आशीष सिंह, कलेक्टर

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