अब चरक में मिले बेड के सौदागर:इलाज के लिए भटक रही महिला को ऑक्सीजन वाला बेड आउटसोर्स कर्मचारियों ने 5000 में बेचा

कोरोना संक्रमण काल में लोगों में मानवता मरती जा रही है। पहले रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक में बेचने और अब बेड के सौदे सामने आ रहे हैं। कोविड सेंटर चरक अस्पताल में ऑक्सीजन बेड उपलब्ध करवाने के नाम पर संक्रमित महिला मरीज से रुपए लिए जाने का मामला सामने आया है। इसमें सीएमएचओ डॉ. महावीर खंडेलवाल ने ठेका कंपनी को आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने और उनके खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करवाने के आदेश दिए हैं।

मरीज से रुपए लिए जाने का यह मामला 6 मई को उस समय सामने आया जब चरक अस्पताल की स्टॉफ नर्स ने सीएमएचओ कार्यालय में आवेदन देकर बताया कि कोविड सेंटर चरक अस्पताल की छठीं मंजिल में भर्ती महिला मरीज से ऑक्सीजन बेड उपलब्ध करवाने के लिए आउटसोर्स कर्मचारियों ने पांच हजार रुपए लिए हैं। मरीज कला बाई पति मूलचंद्र निवासी भैरवगढ़ गणेशनगर 30 अप्रैल को चरक अस्पताल में भर्ती हुई थी। संक्रमित होने से महिला को कोविड वार्ड में भर्ती किया गया था। जहां पर उसे ऑक्सीजन बेड उपलब्ध करवाने के लिए यश गोविंद मार्केटिंग के आउटसोर्स कर्मचारियों ने रुपए लिए। महिला के परिजन ने भी इसकी शिकायत हॉस्पिटल प्रबंधन और अधिकारियों से की है।

सीएमएचओ डॉ. खंडेलवाल की ओर से यश गोविंद मार्केटिंग के संचालक संजय अग्रवाल को नोटिस जारी किया है, जिसमें उल्लेख किया है कि आउटसोर्स के आधार पर रखे गए कर्मचारी सुपरवाइजर लेखराज व वार्ड बाय दुष्यंत ने चरक अस्पताल के कोविड वार्ड में मरीज से ऑक्सीजन बेड उपलब्ध करवाने के लिए पांच हजार रुपए लिए हैं। जो कि अत्यंत आपत्तिजनक होकर कदाचरण की श्रेणी में आता है।

आपको आदेशित किया जाता है कि दोनों कर्मचारियों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर उनके खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाएं तथा कार्रवाई से कार्यालय को अवगत करवाएं। सीएमएचओ डॉ. खंडेलवाल ने बताया आउटसोर्स कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। इधर कंपनी का तर्क है कि उक्त आउटसोर्स कर्मचारी हमारी कंपनी के नहीं हैं।

नोटिस का जवाब दे रहे हैं

^आउटसोर्स कर्मचारी हमारी कंपनी के नहीं है। हमारे कर्मचारियों का इस प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं है। सीएमएचओ की ओर से नोटिस मिला है, जिसका जवाब दिया जा रहा है।

संजय अग्रवाल, संचालक, यश गोविंद मार्केटिंग

ऐसे करते खेल…ऑक्सीजन बेड की सबसे ज्यादा दिक्कत, इसी को अवैध कमाई का जरिया बनाया

कोविड हॉस्पिटल या सेंटर में ऑक्सीजन बेड की सबसे ज्यादा दिक्कत है। मरीजों को ऑक्सीजन बेड नहीं मिल पा रहे हैं। सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में ऐसे ही हाल है। मरीजों की इसी परेशानी का फायदा उठाते हुए कर्मचारी अवैध कमाई का जरिया बना रहे हैं। हॉस्पिटल या सेंटर में जब भी कोई ऑक्सीजन बेड खाली होता है, कर्मचारी उसे दूसरे मरीज के नाम से होना बताकर खाली रखते हैं। जैसे ही कोई जरूरतमंद मरीज आता है तो पहले उसे ऑक्सीजन बेड की समस्या बताते और फिर बेड उपलब्ध करवाने के एवज में रुपए की मांग करते हैं।

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