मिल्खा बनने का सपना लिए दौड़े धावक

कुछ कर गुजरने का जज्बा और आंखों में मिल्खा बनने का सपना लिए हजारों धावक ने उम्मीदों की दौड़ लगाई। मौका था महानंदानगर स्पोटर्स एरिना में 100, 200 व 400 मीटर दौड़ प्रतियोगिता का। नेशनल युवा को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड और गेल इंडिया के नेतृत्व में इंडियन स्पीड स्टार सीजन 2 के जरिए प्रतिभाओं की खोज के लिए मंगलवार सुबह ट्रायल हुए। इसमें इंदौर और उज्जैन संभाग के बच्चों ने भागीदारी की। सुबह ११.३० बजे तक ४ हजार बच्चों का रजिस्ट्रेशन हो चुका था। इसके बाद भी बच्चों का आना जारी था जिनका रजिस्ट्रेशन ऑन द स्पॉट किया जा रहा था। दोपहर तक झाबुआ के बच्चे भी स्पर्धा में भाग लेने के लिए पहुंचते रहे।

कुछ कर गुजरने की चाह लिए पहले ट्रायल के तहत स्पोर्ट्स एरिना महानंदानगर में सुबह से ही धावक जुटने लगे और देखते ही देखते खिलाडिय़ों से मैदान भर गया। इसमेंं छोटे बच्चों सहित बालिकाओं ने बढ़चढ़कर भागीदारी की। स्टेट कॉ-ऑर्डिनेटर शिव पंडित और डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डिनेटर प्रिंस दीक्षित ने बताया 35 साल से दौड़ में देश को पदक नहीं मिला इसलिए इस बार जमीनी स्तर पर खिलाडिय़ों की खोज की जा रही है।

यह तीन स्तर पर हो रही है। पहली जिला, दूसरी राज्य और तीसरी नेशनल। इसमें 11 से 17 आयु वर्ग के लड़के/लड़कियों की 100, 200 व 400 मीटर की दौड़ प्रतियोगिता करवाई जा रही है। प्रतियोगिता शाम तक चलेगी। इसमें चयनित होने वाले धावकों को स्टेट व नेशनल ट्रायल के लिए भेजा जाएगा। नेशनल ट्रायल में देशभर से प्रतियोगियों का चयन किया जाएगा। इन प्रतिभागियों को 2020 और 2024 में होने वाले ओलिंपिक के लिए चार साल तक ट्रेनिंग और स्कॉलरशिप दी जाएगी। इस मौके पर गेल के मैनेजर (एचआर) जीपी आचार्य, एंगलिन मैडल हंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजर (ऑपरेशंस) अलंकृत सेंगर (दिल्ली) मौजूद थे।

गरीब बच्चों को दिया किराया
स्टेट को-ऑर्डिनेटर शिव पंडित ने बताया विभिन्न स्थानों से आने वाले वे बच्चे जो गरीब हैं और जो दौड़ में देश का नाम रोशन करना चाहते हैं लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से वे नहीं आ पा रहे थे उन्हें भी स्पर्धा में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया और ऐसे धावकों को आने-जाने का किराया भी दिया गया है।

एम्बुलेंस और डॉक्टर मौजूद
महानंदानगर स्पोट्र्स एरिना के बाहर एम्बुलेंस को तैयार रखा गया था। साथ ही ग्राउंड पर डॉक्टर भी मौजूद थे ताकि किसी प्रतिभागी की तबीयत खराब होने से पर उन्हें तुरंत ट्रीटमेंट दिया जा सके। इसके लिए पूरे समय एम्बुलेंस और डॉक्टर तैनात रहे। इसके अलावा पानी के लिए बाहर टैंकर भी लगाया गया था।

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