14 महीने में 123 दिन लॉकडाउन में गुजरे:पेट्रोल पर 29, खाद्य तेल पर 50 और दालों पर 40 रुपए तक बढ़े

कोरोना महामारी से लड़ाई व तीसरी लहर की आशंका के बीच अब महंगाई लोगों की मुश्किलें बढ़ा रही है। महामारी के 14 महीने में लोगों के 123 दिन लॉकडाउन में गुजरे। इस दौरान कई लोगों का तो रोजगार खत्म व चौपट ही हो गया। इस मुसीबत के बीच दूसरी तरफ पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, तेल-दाल व किराना सामान सहित अन्य जरूरत की वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से मुश्किल दोगुना हो गई है।

मुश्किलों का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस दौर में जब नौकरी पेशा व्यक्ति को घर चलाने के लिए अपना बजट बढ़ाना पड़ रहा है, या जरूरतों में कटौती करना पड़ रही है तो छोटे-मोटे व्यापारी व रोज कमा कर खाने वाले मजदूरों की क्या स्थिति हो रही होगी? बहरहाल इन तमाम परिस्थितियों से उम्मीद ही की जा सकती है कि महामारी पूरी तरह से खत्म हो, तीसरी लहर भी ना आए और सब कुछ पहले जैसा सबके बजट में रहने जैसा हो जाए।

12 लाख का मकान अब 14-15 लाख रुपए में
महामारी के बीच निर्माण मटेरियल भी महंगा हो गया। इसका असर मकान-दुकान निर्माण की लागत पर पड़ रहा है। लॉकडाउन के पहले मकान की कंस्ट्रक्शन कास्ट 1200 रुपए से बढ़कर 1400-1500 रुपए स्क्वेयर फीट हो गई है। दरअसल सीमेंट की बोरी 340 से बढ़कर 350 रुपए की, ईंट प्रति हजार 4500 से बढ़कर 5500 रुपए में मिल रही है। इसके अलावा सरिया, गिट्‌टी, रेत व पाइप आदि के दाम भी बढ़ गए हैं। इस तरह से जो मकान पहले 12 लाख रुपए तक में मिल रहा था अब 14 से 15 लाख रुपए में पड़ रहा है।

सोना 37 से 38 हजार रु. तोला था अब 48 से 49 हजार तक
महामारी से पहले वर्ष 2019 में सोना 37 से 38 हजार रुपए प्रति तोला था अब कीमत 48 से 49 हजार रुपए है। ऐसे ही उस समय चांदी 49 से 50 हजार रुपए प्रति किलो थी और अब कीमत 69 से 70 हजार रुपए तक है।

मई के बाद से 48 रुपए ज्यादा नहीं मिली सब्सिडी
रसोई गैस की कीमत ने भी कमर तोड़ दी है। उपभोक्ताओं को अप्रैल 2020 तक सिलेंडर पर खासी सब्सिडी मिलती रही। अप्रैल में 591 रुपए तक सब्सिडी के मिले थे। मई में यह राशि शून्य हो गई। इसके बाद से अब तक 48 रुपए 50 पैसे से ज्यादा सब्सिडी नहीं मिल रही है।

एक दिन पहले ही घरेलू सिलेंडर के दाम 869 से बढ़कर 894 रुपए 50 पैसे हो गए हैं। यानी सिलेंडर 25 रुपए 50 पैसे महंगा हुआ है। बढ़ती कीमत और सब्सिडी कम मिलने से औसतन एक सिलेंडर पर उपभोक्ता को 300 रुपए तक का नुकसान झेलना पड़ रहा है।

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