तीन करोड़ रुपए के गार्डन में केवल दिक्कत और परेशानी की अनुभूति

शहर में बने प्रदेश के पहले दिव्यांग पार्क दुर्गति

बंद है संगीत की धुन, पानी और बैठने के भी इंतजाम नहीं है…

उज्जैन। करीब ३ करोड़ रुपए की लागत से एक गार्डन का यह दावा करते हुए निर्माण किया गया था कि इस स्थान पर अपनी ही दुनिया तक सीमित रहने वाले दिव्यांग अब आम इंसान की तरह भी दुनिया को जान और समझ सकेंगे। यह शहर में प्रदेश का पहला ऐसा पार्क होगा, जिसमें दिव्यांग छूकर तो सुगंध से अपने आसपास की चीजों को जान सकेंगे। यही नहीं इस पार्क में दिव्यांगों को संगीत, स्वास्थ्य से लेकर करीब 15 सुविधाओं का एक साथ अनुभव ले सकेंगे। पार्क दिव्यांगों को प्रकृति के नजदीक लाएगा तो देश-दुनिया में नया क्या हो रहा है इसको भी समझ पाएंगे। अब हालात बदल गए है।। इस गार्डन में दिक्कत, कष्ट, अव्यवस्था और परेशानी की अनुभूति के अलावा कुछ नहीं है।

दिव्यांगों के लिए अनुभूति पार्क कोठी रोड स्थित विक्रम वाटिका में 2.4 हेक्टेयर जमीन पर करीब 3 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया था। इसकी थीम इस तरह रखी गई है कि इसमें दिव्यांगों को सारी सुविधाएं मिल सके। पार्क में दिव्यांगों के लिए विशेष तौर पर सेंसरी पार्क, एनीमल स्ट्रक्चर, खेल मैदान हार्टिकल्चर व एक्युप्रेशर पाथ-वे का निर्माण किया था। पार्क में विशेष किस्म के टाइल्स लगाई गई थी, जिससे दिव्यांग बिना किसी की मदद लिए पार्क में घूम सकेंगे।

 

अब यह हाल है

  • एक्युप्रेशर पाथ-वे,सामान्य पाथ-वे क्षतिग्रस्त हो गए है।
  • दिव्यांग के लिए लगी विशेष किस्म के टाइल्स जगह-जगह से टूट गई है, ऐसे में दिव्यांग किसी साथी के बगैर पार्क में घूम-फिर ही नहीं सकते।
  • पार्क में दिव्यांगों के प्रशिक्षण के लिए अलग निर्मित एक सेंटर बंद है।
  • पार्क में सुबह-शाम को पक्षियों की आवाजें तो आती है, पर संगीत की स्वर लहरी नहीं गूंजेती है। दरअसल म्यजिक सिस्टम बंद है।
  • नक्षत्र वाटिका और औषधीयों के पौधे ही सुरक्षित नहीं बचे है,जिसे छूकर या सुगंध लेकर नक्षत्र या औषधी पौधों की अनुभूति कर लें। सुगंधित पौधों के स्थान पर केवल झाडिय़ा,खरपतवार और घांस है।
  • ओपन जिम और खेल के उपकरण कबाड़ा हो गए।
  • प्रकाश के प्रबंध नहीं है। रात होते ही पार्क का अधिकांश हिस्सा अंधेरे में डूब जाता है।
  • बैठने और पीने के पानी के इंतजाम तक नहीं है

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