Ujjain Simhastha 2028: डॉ. राजौरा के निर्देश – साधु-संतों से चर्चा कर बनाएं स्थाई निर्माण कार्य योजना, स्वच्छता और पेयजल पर दिया जाएगा विशेष ध्यान; समयसीमा में कार्य पूर्ण करने के दिए निर्देश

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन सिंहस्थ 2028 को लेकर अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा की अध्यक्षता में एक अहम समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सिंहस्थ मेले के लिए विकास कार्यों और श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए गए। डॉ. राजौरा ने कहा कि स्थाई संरचनाओं का निर्माण श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए किया जाए, जिसमें आश्रम, पार्किंग, धर्मशाला, भोजनशाला, प्रवचन हॉल और सीवरेज लाइन जैसी सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

बता दें, सिंहस्थ मेला क्षेत्र के विकास के लिए कार्य जून 2025 से युद्ध स्तर पर शुरू किया जाएगा। वॉटर सप्लाई नेटवर्क, सीवरेज जनरेशन और 160 एमएलडी के सीवरेज निष्पादन के लिए स्थाई एसटीपी का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा, 778.91 करोड़ रुपये की लागत से 29 घाटों का निर्माण भी किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिल सके। वहीं, सिंहस्थ मेला क्षेत्र में स्थाई संरचनाओं के निर्माण के लिए साधु-संतों के साथ गहन विचार-विमर्श किया जाएगा।

जल आपूर्ति और सीवरेज नेटवर्क

बैठक में जल आपूर्ति नेटवर्क की विस्तार से समीक्षा की गई। मेला क्षेत्र में 200 एमएलडी पेयजल की क्षमता विकसित की जाएगी, और 160 एमएलडी के सीवरेज जनरेशन के लिए स्थाई एसटीपी का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा, अस्थाई रूप से 60 एमएलडी क्षमता के सीवरेज का निष्पादन किया जाएगा। 15 अप्रैल तक डीपीआर तैयार कर ली जाएगी और 15 जून तक भवन अनुज्ञा का कार्य भी पूरा कर लिया जाएगा।

क्षिप्रा नदी का संरक्षण और जलप्रबंधन

उज्जैन के धार्मिक महत्व को बढ़ाते हुए, क्षिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाए रखने के लिए बेराजों की एक श्रृंखला बनाई जाएगी। यह परियोजना उज्जैन, देवास और इंदौर तक फैली होगी। इस परियोजना की कुल लागत लगभग 919.94 करोड़ रुपये है, और इसके माध्यम से नदी की जलवृद्धि और जल संरक्षण पर ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा, नर्मदा-क्षिप्रा लिंक और अन्य जल परियोजनाओं पर भी काम जारी है, जो सिंहस्थ मेला के जल प्रबंधन को सुदृढ़ करेंगे।

स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार

सिंहस्थ महापर्व के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य विभाग ने मेले के दौरान 500 अस्थाई अस्पतालों और स्वास्थ्य शिविरों की स्थापना की योजना बनाई है। इसके अलावा, 550 बिस्तरों की क्षमता वाली मेडिसिटी का निर्माण किया जा रहा है, जिसकी लागत लगभग 592.3 करोड़ रुपये है। डॉ. राजौरा ने स्वास्थ्य सेवाओं में डिजिटल रिकॉर्ड बनाए रखने, और आपातकालीन सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, बर्न यूनिट, ब्लड बैंक और ट्रॉमा सेंटर की व्यवस्था को प्राथमिकता देने की बात की। इसके अलावा, 500 अस्थाई अस्पताल और कैंप लगाए जाएंगे। स्वास्थ्य सेवाओं को छह झोन में बांटकर, डिजिटल रिकॉर्ड को भी सुरक्षित रखा जाएगा। गर्मी के मौसम में इलेक्टोलाइट की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी और आपदा की स्थिति में तत्काल रिस्पांस के लिए योजना तैयार की जाएगी।

सिंहस्थ 2028 के दौरान स्वच्छता और सफाई व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए 16,220 सफाई कर्मियों की आवश्यकता होगी, जिनमें सड़क और अन्य सफाई कर्मी शामिल होंगे। कचरा संग्रहण के लिए लगभग 5,000 सफाई कर्मियों की जरूरत पड़ेगी। डॉ. राजौरा ने निर्देश दिया कि इन कार्यों की निगरानी के लिए आउटसोर्स एजेंसियों का समय-समय पर फॉलोअप किया जाए।

पर्यटन और धरोहर विकास

बैठक में तय किया गया है कि सिंहस्थ के आयोजन के दौरान पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई विकास कार्य किए जाएंगे, जैसे कि महाराजवाड़ा हेरिटेज होटल, ओमकार सर्किट, और श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर का उन्नयन। इसके अलावा, पंचकोशी यात्रा मार्ग, अष्ट भैरव मंदिरों और गंभीर डेम में जलक्रीड़ा सुविधाओं के विकास पर भी जोर दिया जाएगा।

डॉ. राजौरा ने यह भी निर्देशित किया कि श्रद्धालुओं के अनुभव को और बेहतर बनाने के लिए श्री महाकाल लोक की मूर्तियों के नीचे पौराणिक कथाओं का वर्णन किया जाए। साथ ही, श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्टोन क्लेडिंग, फ्लोरिंग और अन्य निर्माण कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।

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