अखाड़ा परिषद अध्यक्ष का बड़ा बयान, बोले – मेला क्षेत्र के विकास में किसानों की भागीदारी जरूरी; कहा – किसान सिंहस्थ के लिए सहयोग करें, अफवाहों से बचें

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

सिंहस्थ महापर्व 2028 की तैयारियों को लेकर जहां शासन-प्रशासन पूरी ताकत से कार्यरत है, वहीं कुछ असामाजिक तत्व किसानों को भ्रमित कर मेला क्षेत्र के विकास कार्यों का विरोध करवा रहे हैं। इस बीच, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और माँ मनसा देवी ट्रस्ट हरिद्वार के प्रमुख श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने भगवान महाकालेश्वर के दर्शन के बाद उज्जैन के प्रमुख साधु-संतों, महामंडलेश्वरों और जिले के वरिष्ठ अधिकारियों से सिंहस्थ महाकुंभ 2028 की तैयारियों पर विस्तृत चर्चा की।

किसानों को भड़काने वालों पर साधु-संतों की सख्त चेतावनी

मंगलवार को श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी, बड़नगर रोड पर श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने विभिन्न किसान संगठनों के पदाधिकारियों और प्रतिनिधियों से भेंट की। उन्होंने स्पष्ट किया कि मेला क्षेत्र के स्थायी विकास के पीछे किसानों का कोई अहित नहीं है, बल्कि इससे उन्हें ही लाभ होगा। प्रशासन द्वारा बनाई गई योजना में पक्की सड़कें, सीवरेज और नल की लाइनें डाली जाएंगी, जिससे भविष्य में उनकी भूमि का उपयोग बेहतर तरीके से हो सकेगा और उसकी कीमत भी बढ़ेगी।

उज्जैन बनेगा हरिद्वार की तरह स्थायी आध्यात्मिक नगरी

महाकाल महालोक बनने के बाद जिस तरह उज्जैन में श्रद्धालुओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई, उसी प्रकार सिंहस्थ मेला क्षेत्र के स्थायी स्वरूप लेने के बाद उज्जैन को नई आध्यात्मिक पहचान मिलेगी। हरिद्वार की तर्ज पर यहां भी सालभर संतों-महंतों के आश्रम बसेंगे, जिससे स्थानीय व्यापारियों और किसानों को सीधा आर्थिक लाभ होगा।

सरकार दे रही मुआवजा, विरोध की आवश्यकता नहीं

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने किसानों से अपील की कि वे बिना कारण आंदोलन, जलसा या प्रदर्शन न करें। सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ उचित मुआवजा दे रही है। इस संबंध में उनकी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से भी चर्चा हुई है, जिसमें उन्होंने आश्वासन दिया है कि किसानों के हितों की रक्षा की जाएगी।

आंदोलन से पहले प्रशासन से करें चर्चा

श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने सभी किसान संगठनों से आग्रह किया कि वे किसी भी प्रकार के विरोध-प्रदर्शन से पहले प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत करें और मेला क्षेत्र में प्रस्तावित निर्माण कार्यों को बाधित न करें। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों की ओर से उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार करते हुए प्रशासन से पुनः चर्चा की जाएगी।

धार्मिक नगरी के स्थायी स्वरूप की मांग पहले ही रखी जा चुकी है

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने पहले ही मध्य प्रदेश सरकार से मांग की थी कि उज्जैन को हरिद्वार की तरह स्थायी आध्यात्मिक नगरी के रूप में विकसित किया जाए। अब जब इस दिशा में कार्य हो रहा है, तो इसे रोकने का कोई औचित्य नहीं है। परिषद का मानना है कि यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि उज्जैन के आर्थिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्थान की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

साधु-संतों का संदेश: उज्जैन के भविष्य के लिए एकजुट हों

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने अंत में किसानों, व्यापारियों और श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे उज्जैन के भविष्य को उज्जवल बनाने के इस प्रयास में सहयोग करें। सिंहस्थ महापर्व केवल एक पर्व नहीं, बल्कि उज्जैन को विश्वस्तरीय आध्यात्मिक और पर्यटन नगरी बनाने का स्वर्णिम अवसर है, जिसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा।

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