महाकाल मंदिर गर्भगृह विवाद में घिरे विधायक गोलू शुक्ला, बेटे रुद्राक्ष पर भी आरोप: कलेक्टर ने गठित की तीन सदस्यीय जांच समिति, शुक्ला ने आरोपों को बताया षड्यंत्र!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

श्रावण सोमवार के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में एक विवाद गहरा गया है, जिसमें इंदौर की 3 विधानसभा सीट से विधायक गोलू शुक्ला और उनके बेटे रुद्राक्ष शुक्ला पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने बिना अनुमति गर्भगृह में प्रवेश किया और मंदिर के पुजारियों एवं कर्मचारियों के साथ अभद्रता की। यह घटना 21 जुलाई की भस्म आरती से ठीक पहले की बताई जा रही है। अब यह मुद्दा धार्मिक मर्यादा, राजनीतिक आचरण और प्रशासनिक जवाबदेही के त्रिकोण में उलझता नज़र आ रहा है।

विधायक गोलू शुक्ला ने खुद इन आरोपों से साफ इनकार किया है। उन्होंने कहा, “हम 25 वर्षों से महाकाल मंदिर में हजारों कांवड़ यात्रियों के साथ जलाभिषेक करते आ रहे हैं। इस बार भी विधिवत पूजा की गई और किसी से कोई विवाद नहीं हुआ। यह सनातन धर्म और हमारी परंपरा को बदनाम करने का सुनियोजित षड्यंत्र है।”

लेकिन तथ्य यह भी है कि महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं का गर्भगृह में प्रवेश पूर्णतः प्रतिबंधित है, यहां तक कि वीआईपी अतिथियों को भी केवल नंदी द्वार से दर्शन की अनुमति होती है। महाकाल की प्रतिमा की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह व्यवस्था सालों से लागू है। इसके बावजूद शुक्ला और उनके बेटे द्वारा गर्भगृह में प्रवेश किए जाने और कर्मचारियों से विवाद की सूचना सामने आई है।

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उज्जैन कलेक्टर ने जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। साथ ही, मंदिर परिसर में लगे सीसीटीवी फुटेज और भस्म आरती के यूट्यूब लाइव प्रसारण का विश्लेषण किया जा रहा है, जो कि घटना के समय लगभग एक मिनट तक अचानक ब्लैंक हो गया था। प्रशासनिक सूत्र मान रहे हैं कि संभवतः वीआईपी मूवमेंट के चलते यह प्रसारण रोका गया हो।

इस पूरे प्रकरण की गूंज अब राजनीतिक गलियारों तक पहुंच चुकी है। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में शीर्ष पदाधिकारी इस विवाद की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। इंदौर भाजपा कार्यालय में इस विषय पर सख्त मौन साधा गया है और पदाधिकारियों को मीडिया से बात करने से रोका गया है। बताया जा रहा है कि पार्टी की छवि को बचाने के लिए इसे प्रशासनिक स्तर पर ही सुलझाने की रणनीति अपनाई जा रही है।

वहीं, विधायक शुक्ला ने इस विवाद को राजनीतिक साजिश करार देते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मामले को तूल देकर सनातन संस्कृति और भाजपा की जनछवि को नुकसान पहुंचाना चाहता है। साथ ही उन्होंने 4 अगस्त को 10,000 महिलाओं के साथ कलश यात्रा निकालने की भी घोषणा की, जिससे वे यह संदेश देना चाहते हैं कि उनका उद्देश्य धार्मिक प्रचार और जनजागरण है, न कि किसी तरह का अपमान।

गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब रुद्राक्ष शुक्ला विवादों में आए हों। इससे पहले अप्रैल 2025 में देवास की माता टेकरी मंदिर में जबरन रात को मंदिर खुलवाने और पुजारी से मारपीट करने का मामला सामने आया था, जिसमें संगठन की फटकार के बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी।

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