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प्रयागराज महाकुंभ से सीखकर सिंहस्थ 2028 की योजना में जुटा विक्रम विश्वविद्यालय, छात्रों और शिक्षकों ने किया अध्ययन; कुलगुरु अर्पण भारद्वाज ने संभाला नेतृत्व!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
आगामी सिंहस्थ 2028 को लेकर विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने एक बड़ी और दूरदर्शी पहल की है। विश्वविद्यालय अब इस ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाने की दिशा में तेज़ी से काम कर रहा है। कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज के नेतृत्व में यह संस्थान न केवल प्रशासन को तकनीकी और अकादमिक सहायता देने की दिशा में कार्य कर रहा है, बल्कि भीड़ प्रबंधन, सतत गतिशीलता और बुनियादी ढांचे की योजना पर गहन अध्ययन और प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी शुरू कर चुका है।
विशेष बात यह है कि विक्रम विश्वविद्यालय पहले से ही प्रयागराज महाकुंभ 2025 की तैयारियों के अध्ययन में अपनी टीम भेज चुका है, जिसमें विद्यार्थियों और प्राध्यापकों ने भाग लिया। इसके अनुभवों के आधार पर अब उज्जैन सिंहस्थ 2028 के लिए एक बेहतर और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तैयारियां की जा रही हैं।
एक दिवसीय कार्यशाला में पेश की गई भीड़ प्रबंधन की वैज्ञानिक योजना
हाल ही में विक्रम विश्वविद्यालय की शलाका दीर्घा में “क्राउड मैनेजमेंट एंड सस्टेनेबल मोबिलिटी फॉर सिंहस्थ 2028” विषय पर एक विशेष कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में देश के प्रमुख संस्थानों में से एक भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु के प्रो. आशीष वर्मा ने अपने अनुभव साझा किए।
प्रो. वर्मा ने बताया कि 2016 के सिंहस्थ में उन्होंने भीड़ मनोविज्ञान और गतिशीलता पर गहन शोध किया था, जिसके आधार पर एक विशिष्ट सॉफ्टवेयर विकसित किया गया। इस सॉफ्टवेयर की मदद से लो रिस्क, मीडियम रिस्क और हाई रिस्क ज़ोन के आधार पर योजनाएं बनाई जा सकती हैं, जिससे श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुगम यातायात सुनिश्चित हो सकेगा। उन्होंने यह भी बताया कि कौन-सी सुविधा कितनी दूरी पर उपलब्ध होनी चाहिए, इसका विश्लेषण भी सटीक रूप से इस योजना में शामिल है।
प्रो. वर्मा ने इंदौर और उज्जैन में निर्मित फ्लाईओवर्स का उल्लेख करते हुए बताया कि किसी भी योजना की सफलता सिर्फ निर्माण पर नहीं, बल्कि उसके उपयोग, जरूरत और दीर्घकालिक लाभ पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ जैसे आयोजन केवल भीड़ नियंत्रण का मामला नहीं, बल्कि शहर के पूरे इको-सिस्टम को संतुलन में रखने की चुनौती है, जिसमें विश्वविद्यालय जैसी संस्थाओं की अहम भूमिका हो सकती है।
विश्वविद्यालय ने लिया नेतृत्व का संकल्प
कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने इस मौके पर कहा कि सिंहस्थ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह उज्जैन के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से भी परिवर्तनकारी अवसर है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल योजना बनाना नहीं, बल्कि उसका जमीनी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना भी है, जिससे लाखों श्रद्धालुओं को सुगमता और सुरक्षा मिले।
प्रशासनिक स्तर पर भी मंथन शुरू
इस कार्यशाला से पहले उज्जैन संभागायुक्त संजय गुप्ता की अध्यक्षता में सिंहस्थ 2028 की तैयारियों को लेकर एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन हुआ था। इस बैठक में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु के साथ-साथ कलेक्टर रौशन कुमार सिंह और नगर निगम आयुक्त आशीष पाठक उपस्थित रहे। बैठक में प्रो. आशीष वर्मा की टीम द्वारा तैयार की गई मोबिलिटी योजना को प्रस्तुत किया गया।
कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए कि इस सॉफ्टवेयर का उपयोग आगामी नागपंचमी पर्व के दौरान ट्रायल के रूप में किया जाए ताकि इसकी वास्तविक समय में उपयोगिता और परिणामों को देखा जा सके। उन्होंने जिले के डेवलपमेंट प्लान के अध्ययन पर आधारित एक इंटीग्रेटेड मोबिलिटी प्लान की आवश्यकता पर बल दिया।