महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय को मिला नया कुलगुरु, प्रो. शिवशंकर मिश्र को सौंपी गई जिम्मेदारी

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन में कुलगुरु (कुलपति) पद पर नई नियुक्ति की गई है। राज्यपाल एवं कुलाधिपति मंगुभाई पटेल ने प्रो. शिवशंकर मिश्र को विश्वविद्यालय का आठवां कुलगुरु नियुक्त किया है। यह आदेश गुरुवार को राजभवन, भोपाल द्वारा जारी किया गया, जिसकी पुष्टि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. दिलीप सोनी ने की है।

प्रो. शिवशंकर मिश्र वर्तमान में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में शोध विभाग के विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं। राज्यपाल ने उन्हें चार वर्ष के कार्यकाल के लिए कुलगुरु नियुक्त किया है। यह कार्यकाल उनके पदभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी होगा।

‘समूहिक सहयोग से विश्वविद्यालय को नई दिशा देंगे’: प्रो. मिश्र

नियुक्ति की सूचना मिलने के बाद, प्रो. मिश्र ने मीडिया को दिए गए बयान में कहा कि उन्हें गुरुवार को ही नियुक्ति की जानकारी मिली है और वे जल्द ही नियमानुसार उज्जैन पहुंचकर पदभार ग्रहण करेंगे। उन्होंने कहा,

“मेरा प्रयास रहेगा कि विश्वविद्यालय को अकादमिक, शोध और सांस्कृतिक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए सभी के साथ मिलकर कार्य करूं।”

प्रो. मिश्र संस्कृत शिक्षा और वैदिक साहित्य के क्षेत्र में एक जाने-माने विद्वान माने जाते हैं। उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय से उम्मीद की जा रही है कि यह संस्थान वैदिक अध्ययन, शोध और परंपरा को और सुदृढ़ करेगा।

वर्तमान कुलगुरु प्रो. विजय कुमार का कार्यकाल 20 अगस्त को हो रहा समाप्त

गौरतलब है कि विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलगुरु प्रो. विजय कुमार सी. जी. का कार्यकाल 20 अगस्त 2025 को समाप्त हो रहा है। उन्होंने भी दोबारा कुलगुरु बनने के लिए राजभवन में आवेदन किया था, लेकिन राज्यपाल ने चयन प्रक्रिया पूर्ण करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े प्रो. मिश्र को नया कुलगुरु नियुक्त करने का निर्णय लिया।

महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन मध्यप्रदेश का एक प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थान है, जो विशेष रूप से संस्कृत, वेद, उपनिषद, दर्शन, ज्योतिष, व्याकरण और भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित पाठ्यक्रम और शोध को समर्पित है। यहाँ नियुक्त नया नेतृत्व आगामी वर्षों में विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान को और सुदृढ़ करने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

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