गजराज, गरुड़ और नंदी रथ पर सजे भगवान महाकाल, पंचम सवारी में उमड़ा भक्तिभाव; धार्मिक स्थलों की झांकियां बनी आकर्षण का केंद्र!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन में भाद्रपद माह की पावन अनुभूति के बीच, सोमवार को श्री महाकालेश्वर भगवान की पंचम सवारी पूरे भक्तिभाव और गरिमा के साथ निकाली गई। श्रावण मास की सवारियों की तुलना में भले ही भीड़ कुछ कम रही, लेकिन भक्ति, आस्था और आध्यात्मिक माहौल का रंग उतना ही गाढ़ा था। सुबह महाकाल मंदिर में भगवान चंद्रमौलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन हुआ, जिसके बाद पारंपरिक मंत्रोच्चार और नगाड़ों की गूंज के बीच पालकी यात्रा प्रारंभ हुई।

इस सवारी में भगवान महाकाल अपने पाँच दिव्य स्वरूपों में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं — पालकी में विराजमान श्री चंद्रमौलेश्वर, गजराज पर सवार श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर श्री शिवतांडव, नंदी रथ पर विराजे श्री उमा-महेश और डोल रथ में सजित श्री होल्कर स्टेट का मुखारविंद। प्रत्येक स्वरूप की झलक भक्तों के हृदय में भक्ति और उत्साह का संचार कर रही थी।

सवारी में इस बार चार विशेष जनजातीय और लोकनृत्य दल भी शामिल हुए, जिन्होंने भक्ति यात्रा में सांस्कृतिक रंग भर दिए। बैतूल का गौंड जनजातीय ‘ठाट्या नृत्य’, खजुराहो का ‘कछियाई लोक नृत्य’, दमोह का ‘बधाई लोक नृत्य’ और डिंडोरी का ‘गेड़ी जनजातीय नृत्य’ देखने वालों के लिए अद्भुत अनुभव रहा। इसके साथ ही पालकी भजन मंडलियों की मधुर धुनों ने यात्रा को और भी आध्यात्मिक बना दिया।

धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देने के उद्देश्य से सवारी के साथ मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थस्थलों की झांकियां भी प्रदर्शित की गईं। इनमें श्री राजाराम लोक ओरछा, मां बगलामुखी माता मंदिर, मां शारदा शक्तिपीठ मैहर और मां श्री बिजासन माता धाम सलकनपुर की भव्य प्रतिकृतियां श्रद्धालुओं का मन मोह रही थीं।

भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रबंध समिति ने इस बार चलित रथ के दोनों ओर एलईडी स्क्रीन लगाकर लाइव प्रसारण की व्यवस्था की, जिससे दूर खड़े श्रद्धालु भी सवारी का प्रत्यक्ष अनुभव ले सकें। इतना ही नहीं, फ्रीगंज, नानाखेड़ा, दत्त अखाड़ा जैसे प्रमुख स्थानों पर भी यह लाइव प्रसारण दिखाया गया।

सवारी अपने परंपरागत मार्ग — महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी से होते हुए रामघाट पहुँची। यहां शिप्रा नदी के पवित्र जल से भगवान का अभिषेक और पूजन हुआ। इसके बाद यात्रा रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुनः महाकाल मंदिर लौटी।

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